Sumit Shukla   (Sumitshukla Ss✍️)
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ॐ नमः शिवाय 🕉️🔯
Joined 11 May 2020


ॐ नमः शिवाय 🕉️🔯
Joined 11 May 2020
26 APR AT 23:58

वो क्या था जिसको पाने निकले थे हम "सुमित"
इश्क था, रश्क था, मोहब्बत थी, प्यार था,,
मंजिल थी, मुकाम था, लक्ष्य था, परिणाम था,
जो खो गया वो बहुत उम्दा बहुत नायाब था ।।

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15 SEP 2022 AT 13:52

खुद के जैसा कोई कहां मिलता है इस जहान मे ,
खुद के साए से , तन्हाइयो में हम ,
खुद से नज़दीकियाँ बना लेते हैं ,
छोटे- छोटे लम्हों को हम कई सदियाँ बना लेते हैं ,
यूंही बनाते - बनाते , गमों से हम , खुशियाँ बना लेते हैं।।

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18 MAY 2022 AT 1:31

घर से थे जो चले ये बात हो गई,
ना जाने कैसे उनसे मुलाकात हो गई ,
नजरे हा उनसे ऐसे टकरा गई ,
की हमको आशिकी आ गई ,
घर से थे जो चले ये बात हो गई,
ना जाने कैसे उनसे मुलाकात हो गई ।।

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18 MAY 2022 AT 0:49

एक दूसरे के होके भी हैरान है ,
वही होता है जो ऊपर वाला चाहता है,
लबों पे नाम जो भी होगा दिल उसे ढूंढ ही लेगा ,
लखीरो का सफर शायद मोहब्बत पर खतम होगा ,
किस्मत में जिनके लिखा होगा इश्क मिलता है उनको यह ,
लबों पे नाम जो भी होगा दिल उसे ढूंढ ही लेगा ,
लखीरो का सफर शायद मोहब्बत पर खतम होगा ।।

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29 APR 2022 AT 0:30

तो एक अश्क नजर आता है ,
कोई है जो अपना ना हो कर
भी अपना नजर आता है ।।

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6 APR 2022 AT 13:47

उनको खास करने के लिए खुद को
उनकी खातीर आम किया है ,
जिनको दिल से चाहा हमने उन्ही ने
गैरों का दामन थाम लिया है ।।

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27 JAN 2022 AT 19:12

रब से की गई इबादत एक मुकाम तक लाएगी ,
उसके आगे आपकी चाह ,आपका इश्क ,
आपकी मोहब्बत आपको राह दिखाएगी ।।
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25 JAN 2022 AT 21:57

हमने कब गिला किया ,
जो मिला सुख या दुख ,
अल्फाजों में पिरो एक तराना बना लिया ,
गुन गुनाते रहे कैसा भी हो समय
अच्छा या भूरा हमने हस कर बीता लिया ,
हर दुख को अपना लिया ।।— % &

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22 JAN 2022 AT 22:16

जहां जाना है जाओ ना ,
प्रेम एक स्वतंत्रता हैं,कोई बंधन तोड़ी ना ,
प्रेम एक समंदर है ,कोई नदिया तोड़ी ना ,
जिंदगी एक एहसास है ,कोई भरम तोड़ी ना ,
जिंदगी बहुत खूबसूरत है ,कोई वहम तोड़ी ना ,
इसे जी भर जियो ,जीने में कोई शर्म तोड़ी ना ।।

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12 JAN 2022 AT 0:22

Nature explains to us the true meaning of living, teaches us how to live, saves us from disaster itself, we harm it, it still shows love, the falling drops of rain quench the thirst of the scorching earth, its tears Even our own world decorates, nature explains to us the true meaning of living.

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