कोई तरसता रहा
फ़कत दीदार को,
किसी को दिखाया गया
ज़िस्म सारा...😑-
जो होता जा रहा,
वहीं क़लम लिखती जा रही...,
"मेरी लेखनी-मेरी सच... read more
जिन्हें आदत नही साथ की
उनके करीब जाते क्यों हो,
जिन्हें प्यार से मतलब नही
उनसे उम्मीद लगाते क्यों हो,
जो आज़ाद रहना चाहतें हैं
उन्हें रिश्तों में उलझाते क्यों हो,
जो थक चुके हैं मोहब्बत से
उन्हें फिर समझाते क्यों हो,
ये दिल तुम्हारा है और
ये गलतियां भी तुम्हारी हैं,
जिन्हें तुम्हारी जरूरत नही
उन्हें अपना बनाते क्यों हो...,-
मत लिख ऐ क़लम
अपने ग़मों को इन पन्नो पर,
उन्होंने पढ़ भी लिया
तो क्या कर पाएंगे,
जो साथ रहकर
जज़्बात नहीं समझ पाये,
वो दूर होकर
अल्फ़ाज क्या समझ पाएंगे💔-
टूटे हुये कांच की तरह
चकनाचूर हो गया,
किसी को लग ना जाये
इसलिए सबसे दूर हो गया..,-
एक तरफ़ा ही सही
प्यार तो प्यार है,
तुझे हो या ना हो
मुझे तो बेशुमार है..,-
चेहरे की हसी दिखावट सी हो रही है
असल ज़िंदगी भी बनावट सी हो रही है,
अनबन बढ़ती जा रही रिश्तों में भी
अब अपनों से भी बग़ावत सी हो रही है,
पहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ आजकल
मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है,
दूरी बढ़ती जा रही मंजिल से 'समर,
चलते चलते भी थकावट सी हो रही है,
शब्द कम पड़ रहे है मेरी बातों में भी
ख़ामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही है,
और मशवरों की आदत ना रही लोगो को
अब ग़ुज़ारिश भी शिकायत हो रही है..,,-
साल तो आते जाते ही रहते है,
खुशियाँ तो हालातों के
बदलने पे मनायी जाती है✍🏻-
शाम होती
रात होती,
यादों की बगिया
फ़िर सज जाती,
बीते लम्हों की
चादर लपेट कर
ख़्वाबों में करवट
लेने लगती,
बात वो याद है
वाद जो ख़ास है
बगिया का माली
पर अब ना साथ है,
हम छोटे फूल
उनकी छांव के
हमेशा ख़ुशबू बिखेर
मुस्कुराते रहते..,-