सुमित रंजन त्रिपाठी   (Sumit Ranjan Tripathi)
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साहित्य प्रेमी, कला प्रेमी , कवि तथा शिक्षक
Joined 14 January 2017


साहित्य प्रेमी, कला प्रेमी , कवि तथा शिक्षक
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ज़बाँ से लफ्ज़ ना निकलें तो उसका मोल क्या रह जायेगा । आईना अगर तस्वीर ना दिखाये तो कौन खरीदार रह जायेगा ।

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कौन नहीं चाहता बेहिसाब मोहब्बत करना । पर जो बेहिसाब हो वो मोहब्बत कहाँ .......

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दुनिया के सबसे बड़े रक्तपात स्वयं को, स्वयं की विचारधारा को या अपने समाज या जाति इत्यादि को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की वजह से हुए हैं ।

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भारत के नेतागण कितने सक्षम हैं आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उनका #गोद लिया हुआ सिर्फ एक #गाँव आजतक पूरी तरह से विकसित न हो पाया , देश तो ख़ैर___ !!

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तू मुझसे, सिर्फ़ मुझसे ही प्यार कर....

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अत्यधिक सुख की चाह में मनुष्य ने अनंत दु:खों का निर्माण स्वयं किया है ।

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जिनका निजी जीवन कुंठा और ईर्ष्या से भरा होता है वो पब्लिक प्लेटफार्म(सोशल मीडिया)पर दूसरों का आसानी से चरित्रचित्रण करने लगते हैं।

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सकारात्मकता आपको धीरे-धीरे प्रभावित करती है, जबकि नकारात्मकता का आकर्षण बहुत तीव्र होता है....

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वो दौर ही कुछ और था साहेब जब क्रान्ति सड़कों पर होती थी, अब केवल की-बोर्ड पर होती है....

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वो जो इश्क़-ए-हवा के साथ- साथ बहते थे , मुझे उनके बग़ैर अब बहना आ गया है.... हाँ मुझे अब तन्हा रहना आ गया है ।

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