मेरा जख्म तेरा ना हुआ,कोई बात नही,
मै राही बस तेरी यादो मे होना चाहता हु.
तेरा वो कोना मेरा न हुआ,कोई बात नही,
मै राही बस तेरी यादो मे रोना चाहता हु.
अपनो ने ही जहर दिया,कोई बात नही,
मै उसी जहर की नींद सोना चाहता हु.
खेला हुआ है तु मुज्से,कोई बात नही,
यही खामोशियो से मै जलना चाहता हु.
मेरे सवाल थे,तेरे जवाब नही,कोई बात नही,
इजाजत से आखरी बार मिलना चाहता हु.
मै खुद ही खुद से खुद की तारीख़ चाहता हु,
बस एकबार किसी अपने से तारीफ़ चाहता हु.
- सुमित रबारी
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આગળ કંઈક ને પાછળ કંઈક,
ને વળી કહો તમારી વાતો નથી.
રોજ તમે બોલાવ્યા કરો છો,
પણ હુ સહજ આવતો નથી.
ગળેથી તમે ભલે ઉતાર્યો મને,
પણ લય વિના હુ ગવાતો નથી.
દાઢમા ભરાવી રાખ્યો છે મને,
તો કહો,કેમ હુ ચવાતો નથી ?
મધથી વધારે મને મીઠો કહો છો,
તો કહો,કેમ તમને ભાવતો નથી ?
-સુમિત રબારી
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इक दौर मे हमारे चाहनेवाले हजारो हो गए,
पर आज हम किसी इक के लिये मजबूर हो गए.
इन बरसती हुई आंखो से जबसे वो दुर हो गए,
ये बची हुई जवानी के कुछ नुर भी दुर हो गए.
कभी रंगीन रहे मेरे ख्व़ाब गमो से भरपूर हो गए,
अंजान शहर मे भी हम घायल से मशहूर हो गए.
इन आंखो के मिटकर किसी और के पुर-नूर हो गए,
मेरे साथ रहे आज किसी और के कोहिनूर हो गए.
खुदा बनाया था उसे पर वो आज मगरुर हो गए,
तो फिर हम भी उस खुदा के साथ मंजूर हो गए.
ख्वाईश थी साथ जीने की पर वो रंजिश हो गए,
खुदा कसम वो खुद मेरी जींदगी से दुर हो गए.
- सुमित रबारी-
हल ये दिल का दे,हाल-ए-दिल सुनले,
तेरे नाम धडकते दिल की धडकने सुनले.
शून्य रहे ये होठों से आवाज़ सुनले,
ये मरीज़-ए-महोब्बत की दुआ सुनले.
मेरा घर कहा,तेरा घर कहा ठिकाना पूछले,
यु बिछडने से पहले यहा कौन अपना पुछले.
दिए हुए वादो से जागा हू,मेरी रातो से पूछले,
तुजे हर दुआ मे मागा है मेरे सपनो से पूछले.
महोबत-ए-सवाल कही न पुछा,जहा से पुछले,
बिना तेरे हालात क्या है आखरी बार पुछले.
अभी मै जिंदा हू,दो-चार सवालात पूछले,
वक़्त गुजर जाने से पहले हालात पुछले.
- सुमित रबारी
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::: उम्मीद है :::
वो बिछड रहा है हमसे पर उम्मीद है,
हर वक़्त उसे बस मेरी ही याद आये.
मिलने के बाद भी ना मिले,कोई बात नही,
उम्मीद है,बहुत आते हो याद फरियाद आये.
आधी जवानी तेरे इंतज़ार मै गुजार ली,
उम्मीद है,बची जवानी किसी के काम आये.
इंतज़ार करते-करते हमने नजरे भी उतार ली,
उम्मीद है,तेरा आखरी खत मेरे नाम आये.
महोबत-ए-सवाल किसी और से पुछा नही,
उम्मीद है,सवाल से पहले तेरा जवाब आये.
- सुमित रबारी
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वक्त बित गया तुज्से बाते हुए,
हाल यहा क्या मेरा तु क्या जाने.
हद,सरहद पार भी उसे मेरा कीया,
फिर वो मेरा होगा की नही खुदा जाने.
रोज तडपती है,मछली पानी बिना,
सिखा दे बिना पानी केसे जिया जाये.
अमृत अब रहा नही विष पिया जाये,
अंतिम तृप्ति मिल जाये तो चले जाये.
बख्स दे कुछ वक्त साथ जिया जाये,
रक्त बहने से पहले दिया जलाया जाये.
तुज्से अब कुछ होता नही तो पता दे,
उस रब से अब रुबरु किया जाये.
- सुमित रबारी-
एसे रोज-रोज देखा करेगी तो छलक जाऊंगा मै,
एसी बेइंतहा महोबत करेगी तो भटक जाऊंगा मै.
हमे रोज-रोज बुलाती है,सोच केसे आऊंगा मै,
एकदीन तेरी ही सांसो मै अटक जाऊंगा मै.
यु तो रंग रोज नये लगाता हू,निगाहे रखना,
एकदीन रंग चड गया तो बदल जाऊंगा मै.
सपनो का सौदागर हू,सपनो मै ही आऊँगा,
अगर जागते रहे तो जरुर संभल जाऊंगा मै.
दिल की बाते यु छुपाये मत रख,कुछ कहा कर,
वरना एकदीन कुछ अनकहा कर जाऊंगा मै.
कहा से लाती है,रोज-रोज ये नई-नई आफ्ते,
थोडी तो फिक्र कर वरना मर जाऊंगा मै.
- सुमित रबारी
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:::કાગળ:::
પાનખર ના પાનની લાગણીઓ ઊગી જાય એમ બને,
એ'દી કાગળ મારો આવશે તો બસ તમારા જ સરનામે.
તમે ભલે ને બદલી દીધા અમને આપેલા સરનામા,
તોય અમારો કાગળ લખાશે તો બસ તમારા જ નામે.
મને યાદ છે તમારો આવેલો એ પહેલો કાગળ,
જેમા આછા અક્ષરે તમેય કરેલુ જીવન અમારા નામે.
તમ થી કાગળીયા ન સચવાયા ને સરનામા બદલી દીધા છે,
પણ અમેય વચન દીધા છે ગઝલ લખશું તો તમારા જ નામે.
અરે! કાગળીયા કરી થાકયા પણ સંબંધો પાક્યા જ કયાં?
છતાંય વધ્યા દિવસો કાગળીયા કરવા તો તમારા જ નામે.
કદાચ છેલ્લા શ્વાસેય હુ ભલે ન આવુ તમારા સરનામે,
પણ અમારા કાગળીયા જરૂર આવશે તમારા સરનામે.
-સુમિત રબારી
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भुले हुए कुछ अपनो से गुफ्त्गु करने,
कुछ हवा गाँव मे छोड देनी पड़ती है.
आपतो हमे कभी मलम देते ही नही,
कुछ दवा घाव पर खुद भर देनी पडती है.
हवा ही बनना है तो मुक्त का अना क्यो रखे,
वक्त आने पर बची हवा भी छोड देनी पडती है.
आग का काम कभी कभी बाते कर लेती है,
फिर तो कुछ बाते हमे भी जोड़ देनी पडती है.
मालुम नही आप आखरी महोबत हो या पहली,
पर बिछडने से पहले कुछ यादे भर लेनी पडती है.
दुरियो के बावजूद आपकी वफा कम नही होती,
फिर तो कुछ वफा हमे भी कर लेनी पडती है.
-सुमित रबारी
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જો સાદગી હોય તો સંસાર સરળ છે,
પણ સંસાર છે તો સાદગી ચંચળ છે.
રોજ નારણ હોય જો નયનમા લય છે,
પણ અહીં તો નયન જ રોજ પ્રલય છે.
તુ નિત મંદિરે શોધે ઈ તો પથ્થર છે,
કણ-કણ મા સમાયો ઈ તારો ઈશ્વર છે.
આખડી બાધા ઈ બધા તારા ખેલ છે,
તારા અન્નજળમાં તો કર્મ ઈશ્વર નુ છે.
કાદવ નો વાંક કાઢે,તારુ જીવન જંજાળ છે,
નહીતર કાદવ મા ખીલે એજ તો કમળ છે.
નથી નારણનો ગ્રહ કોઈને નડવા નવરો,
જો આ કાળા માથાળો નંગ શીતળ છે.
અત્તરની બાટલીમાં ભલે ફુલો સત્તર હોય,
પણ માણવો હોય એને પરસેવોય અત્તર છે.
-સુમિત રબારી
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