बेखबर हूं मगर वो हर खबर में रखता है
मुझको मेरा किरदार अपनी नजर में रखता है
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राखी के त्यौहार से महक उठा परिवेश
भाई बहन के प्यार से अमर रहे यह देश-
दुनिया की भीड़ में जब तन्हा हो जाते हैं,
हम तेरी यादों के जंगल में खो जाते हैं।।
विशाल देवदारु सा तुम्हारा विशाल प्रेम
हृदय की भूमि पर रोज़ रोज़ बढ़ता जाता है,
तुम्हारी नीली आँखों की चंचलता देख,सुन्दर
हिरन का जोड़ा भी लज्जित हो जाता है ।
तुम्हारे शहद में लिपटे मिश्री से मीठे बोल, सुन
कोयल ईर्ष्या से नित नित काली होती जाती है
लरज़ते हुए तुम्हारे गुलाबी होंठों ने, वादियों में
कलियों के खिलने का भरम ही तोड़ दिया।
लहराते केश तेरे, बादल से आसमां
पर छाने लगे हैं।
तेरी यादों के जंगल में मेरी आँखों से आंसू
आने लगे हैं।
देख तेरी यादों के जंगल में अभी भी हरे हैं, कुछ
वफ़ा के पेड़ जो हमने लगाये थे,
सन्नाटा छाया है पर ध्यान से सुनो, सुनाई देंगें
वो गीत जो मैंने तुम्हें सुनाए थे।
"सुमित" तेरी यादों के जंगल में आशा के तीर से
खुशयों का शिकार करना है,
तेरी यादों के जंगल में काली रात हुई,तेरी यादों के
जंगल में अब भोर का इंतजार करना है।।
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उसको भूल जाने की बात गंवारा भला कैसे करूं
खुद ही अपनी बात से किनारा भला कैसे करूं
किसी की याद में जीना रवायत है मोहब्बत की
कहो अब मोहब्बत का खसारा भला कैसे करूं
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उसकी तस्वीर को पलको में बसा रक्खा है
उसके लहज़े को दिल का मेहमान बना रक्खा है
गम के घनघोर अंधेरों से सुमित डरना क्या
हमने यादों के चरागों को जला रक्खा है-
वक्त की आवाज़ है सुन लीजिए और सुना दीजिए
लड़ाई स्वाभिमान की है कंधे से कंधा लगा दीजिए-
पता है" तो कभी मतलब" की बात करते हैं,
"हां भाई" कहकर कहावत की बात करते हैं
बात के बात की कोई जरूरत नहीं फिरभी
उसकी मोहब्बत कभी आदत की बात करते हैं-
सजा दिया है उसे तो खता जांच लेना
कहीं ऐसा न हो कि वो बेगुनाह निकले ।-