Sumit Patel   (कविता की एक छोटी कलम)
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Writer
Joined 17 June 2018


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Joined 17 June 2018
24 OCT 2024 AT 20:10

बेखबर हूं मगर वो हर खबर में रखता है 
मुझको मेरा किरदार अपनी नजर में रखता है

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19 AUG 2024 AT 8:46

राखी के त्यौहार से महक उठा परिवेश
भाई बहन के प्यार से अमर रहे यह देश

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19 AUG 2024 AT 8:27

राखी बांधी हाथ पर तिलक लगाया माथ
बहन आरती कर रही भैया देना साथ

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18 JUN 2024 AT 12:43

दुनिया की भीड़ में जब तन्हा हो जाते हैं,
हम तेरी यादों के जंगल में खो जाते हैं।।

विशाल देवदारु सा तुम्हारा विशाल प्रेम
हृदय की भूमि पर रोज़ रोज़ बढ़ता जाता है,
तुम्हारी नीली आँखों की चंचलता देख,सुन्दर
हिरन का जोड़ा भी लज्जित हो जाता है ।
तुम्हारे शहद में लिपटे मिश्री से मीठे बोल, सुन
कोयल ईर्ष्या से नित नित काली होती जाती है
लरज़ते हुए तुम्हारे गुलाबी होंठों ने, वादियों में
कलियों के खिलने का भरम ही तोड़ दिया।
लहराते केश तेरे, बादल से आसमां
पर छाने लगे हैं।
तेरी यादों के जंगल में मेरी आँखों से आंसू
आने लगे हैं।
देख तेरी यादों के जंगल में अभी भी हरे हैं, कुछ
वफ़ा के पेड़ जो हमने लगाये थे,
सन्नाटा छाया है पर ध्यान से सुनो, सुनाई देंगें
वो गीत जो मैंने तुम्हें सुनाए थे।

"सुमित" तेरी यादों के जंगल में आशा के तीर से
खुशयों का शिकार करना है,
तेरी यादों के जंगल में काली रात हुई,तेरी यादों के
जंगल में अब भोर का इंतजार करना है।।

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8 JUN 2024 AT 17:13

उसको भूल जाने की बात गंवारा भला कैसे करूं
खुद ही अपनी बात से किनारा भला कैसे करूं

किसी की याद में जीना रवायत है मोहब्बत की
कहो अब मोहब्बत का खसारा भला कैसे करूं

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6 JUN 2024 AT 12:58

उसकी तस्वीर को पलको में बसा रक्खा है
उसके लहज़े को दिल का मेहमान बना रक्खा है
गम के घनघोर अंधेरों से सुमित डरना क्या
हमने यादों के चरागों को जला रक्खा है

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24 MAY 2024 AT 14:43

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10 MAY 2024 AT 16:16

वक्त की आवाज़ है सुन लीजिए और सुना दीजिए
लड़ाई स्वाभिमान की है कंधे से कंधा लगा दीजिए

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5 APR 2024 AT 21:27

पता है" तो कभी मतलब" की बात करते हैं,
"हां भाई" कहकर कहावत की बात करते हैं
बात के बात की कोई जरूरत नहीं फिरभी
उसकी मोहब्बत कभी आदत की बात करते हैं

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10 MAR 2024 AT 21:30

सजा दिया है उसे तो खता जांच लेना
कहीं ऐसा न हो कि वो बेगुनाह निकले ।

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