Sumit Kumar Yadav   (Sumit kumar Yadav)
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Joined 31 August 2017


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29 JUL 2021 AT 10:12

Neither your city ..............






(Read caption )

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5 JUL 2021 AT 17:44

समझदारों की भीड़ से बहुत बाहर हूँ मैं,
तुमसे झूठ कहा है किसी ने कि शायर हूँ मैं ।।

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18 JUN 2021 AT 20:01

उसकी ही रहमत है जो सिर उठा के चलता हूँ,
इसलिए भी मैं हर मंदिर के आगे सिर झुका के चलता हूँ ।।

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22 JAN 2021 AT 21:06

Re-living in head
Is Always sweeter than
replacing to forget .

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19 JAN 2021 AT 0:57

तेरे बाद भी ये रातें मेरे संग कुछ यूं जाग रही हैं,
तेरे हिस्से का वक़्त अब यादें बाँट रही हैं।।

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17 JAN 2021 AT 23:00

एक सैलाब आया कल आशुओं का , हम खुश हुए कि सारे किस्से बह गए,
मगर उठाई जो तकिया सिरहाने से, दबे वो दर्द अबतक वहीं पुराने रह गए।।

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14 JAN 2021 AT 16:22

'Thinking', it's nothing
but just an illusion.
Brain is a media player,
playing a prescripted,
predestinated reel everytime,
Always. 'Emotions' are
like background music.
To make it more dramatic
and interesting.

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10 JAN 2021 AT 10:55

कोई झूठ, कोई चाल, कोई फ़रेब नहीं जाता वहाँ,
मरघट से भी कोई पाक जगह होगी जहाँ खुदा मिल सके??

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8 JAN 2021 AT 12:52

मुसाफिर नहीं उनकी कहानियाँ तेहरा करती हैं ।
कभी डूबती, कभी टूटती, कभी धुल जाती, कभी घुल जाती, यह कश्तियाँ भी कितनी संभल जाती।।

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7 JAN 2021 AT 23:13

आती नहीं हैं मुझे हिचकियाँ आजकल,
शायद ! मेरा डर सच हो गया है ।।

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