उसने मुझे तंज कसते हुए कहा मैं किसी की जरूरत नहीं ख्वाहिश बनना चाहती हूं उस पागल को जाने कौन समझाए अक्सर जरूरतें तो पूरी हो जाती है लेकिन ख्वाहिशें ही अधूरी रह जाती है।
हमने दिन भर रात होने का इंतजार किया कि चलो रात होगी तो सनम से बात होगी लेकिन हम उनके इंतजार में जागते रहे गए और वो अपनी नींद में सपनों की दुनिया में खो गए।
तेरी चाहत की हवा क्या चलि हम भी तेरे चाहने वालों में सामिल हो गए। क्या तारीफ करूं उस खुदा की जिसने तुम्हें यूं तराश कर बनाया। अरे तेरे एक दीदार से ही हम तेरे हुस्न के दीवाने हो गए।