जरा आंखों को गुस्ताखी करने तो दो मौसम ,जान थोड़े लूंगा
सिर्फ जुबा से कह देना मोहब्बत नही हमसे , मान थोड़े लूंगा
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हमारा रिश्ता उनसे कुछ ऐसा ह
दिसम्बर जनवरी महीने के जैसा ह
पास होकर भी कभी मिले नही हम
क्या बताऊँ उधर का मौसम कैसा ह-
ऐ मौसम...याद रखना
तोड़ेंगे गुरुर तेरे मौसमी इश्क़ का
और हम इस कदर सुधर जाएंगे
खड़े रहोगे घन्टो हमारे इंतजार में
और हम तेरे सामने से गुजर जाएंगे-
काश हमने भी उनकी तरह उनसे प्यार किया होता
इस पल में इजहार ,दूसरे पल में इनकार किया होता
देखा था जब उसे दूसरे के साथ हमबिस्तर होते हुए
उसी बार मे ही उस पर थप्पड से वार किया होता ...-
खामोशियो से कुछ ऐसा रिश्ता जोड़ रखा ह उसने
मेरे जैसे जाने किततो का दिल तोड़ रखा ह जिसने
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तेरी खामोशी ...
तेरी खामोशी का कोई जवाब नही मौसम
सुनाई भले ना दे ,पर चीखती जोरो से ह ...-
खुश तो बहुत हुआ होगा ऐ मौसम तेरा मन
पहली बार जो आई है ये बरखा तेरे आँगन
जा गा ले और झूम ले मस्ती में उसके संग
बरसो बाद जो हुई है तू आज टन टनाटन
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महीना दिसम्बर का हो और कुछ लिखा ना जाय
मौसम सर्द का हो और टपरी से चाय पिया ना जाय
माना की दूरियाँ और मजबूरियाँ दोनो ह तेरे लिए
पर इतने कमजोर भी नही की तेरे बिन जिया ना जाय
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बहुत थक सा गया हूं मौसम के बार बार आजमाने से ,
खफ़ा नही बस परेसान हो गया हूँ इस फरेबी जमाने से,
हा थोड़ा अपनापन और सुकून मिलता था तेरी बातों से
पर अब फर्क नही पड़ता तेरे करीब आने या दूर जाने से
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हमे छोड़ जाने की कोई एक वजह तो बता देते,
ठीक ह...अपने नए यार की तस्वीर तो दिखा देते,
रही कुँआ सुखाने वाली वो बात ,तो दिल से कहते
कसम खुदा की,हम पीकर पूरा समंदर सूखा देते !
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