इश्क पहले आसान बनाना पड़ता है ,
ऐसे ही किसी को जान बनाना पड़ता है,
वो जान बन जाए जो जानलेवा हाए,
फिर उसे अनजान बनाना पड़ता है,
वो खुशकिस्मत जिनके हिस्से इश्क,
नहीं तो कलाई पे निशान बनाना पड़ता है,
वैसे तो मुझसे आंख न मिला पाए ,
गर इश्क हो तो गिरेवान बनाना पड़ता है ,
मैं आज तक किसी को न नवाजा ,
फिर मोहब्बत हो तो मेहमान बनाना पड़ता है,,
मैं खाली तरकश हूं मुकम्मल इस तरह ,
कुछ आ भी गया तो कमान बनाना पड़ता है,
अब उम्र ढल गई और मैं बूढ़ा हो चला,
उसे याद करूं तो खुद को जवान बनाना पड़ता है
✍️सुमित कुमार
-