जो मुनाफ़ा देखकर करे वो रिश्ते हमें पसँद नहीं जो खुदगर्ज़ बन जाए तो वो कोई हमदर्द नहीं ऐ-खुदा तेरी दुनिया में रिश्तों में किस्त बना दी गई जहाँ रिश्ते की किस्तें बना दी जाए उस दुनिया को समझने वाले हम ऐसे कोई फरिश्ते नहीं।
यूँ कतरा कतरा ना तोड़, कर दे फना एक बार में जो चैन से मैं सो जाऊ दे दे जुदाई मुझें उन पहलुओं से, जो मैं तेरे पास भी अगर कभी रह जाऊ जो ना कर सके तु कुछ तो कर दे मुझ पर एक अहसान, कि मैं जिंदगी भर ना भूल पाऊ तु लगा दे मेरी कोई ऐसी बोली, जो मैं तेरे और सिर्फ़ तेरे नाम हो जाऊ
मुझें जाना हैं, हाँ जाना हैं बस उस किनारे जाना हैं आना जाना है, हाँ जहाँ सिर्फ़ तेरा आना जाना हैं उसी किनारे मुझें जाना हैं एक बस्ती हैं एक गली हैं, जहाँ तेरा कोई ठिकाना हैं देख देखकर रखू कदम, उस गली में हर कोई दीवाना हैं बस ठहर जाए जो ये नदी का पानी मुझें उस किनारे जाना हैं एक एक करके मैं पूछूंगा, जो भी मिले नया किनारा हैं तुझे धुँढ़ते धुँढ़ते एक दिन, सिर्फ़ तेरे उस किनारे पर आ जाना हैं हाँ, बस एक दिन तेरे उस किनारे पर आ जाना हैं हाँ, मुझें उस किनारे जाना हैं
कभी कभी वो वक़्त याद आता हैं जो कभी मेरा हुआ करता था जो हुआ करता था मेरे हिस्से में लेकर साथ तेरे किस्से में जो मैं बाँट लिया करता था मेरे हर किस्से को तेरे हिस्से में ना जाने कैसी नासमझ कर डाली हैं मैनें अपने ही हाथों रिश्तों की डोर काट डाली मैनें यादें में बसकर रह गया हर वो पल का सहारा जो कभी तुम और हम से बना था रिश्ता हमारा साँसों की डोर चल रही हैं बस तेरे मिलनें की उम्मीदों से जो ना मिला तो बेवजह रह जाएगा ये जीवन का किनारा
तुम सोचते हो कि मैनें तुमको भूला दिया तुम्हे पता नहीं मैनें कब कितना तुमको याद किया जो कर भी दूँ खुद को बेखबर तेरी यादों से हजारों इल्ज़ाम आए मुझपर ये कैसा मैंनें काम किया
रात चाँद और तन्हाई, आज फिर से तेरी याद आई देख आई वही रात अन्धेरी, मगर तु लौटकर ना आई तेरी यादों में डूब रहा मैं सुबह शाम, फिर रात ले आती हैं तन्हाई अब जिस्म से जान छुट रही हैं, आजा अब देर ना कर ओ हरजाई
कभी कभी तन्हाई बीते पल मे जाती हैं ना चाहते हुए भी कल की याद दे जाती हैं ना जाने क्यो उस पल का अहसास इस पल मे दिलाकर मुझमें मैं तो रहूँ मगर मुझमें से मेरा अक्स ले जाती हैं
रह जाए बनकर जो पल खुशनुमा, ऐसा अब कोई पल नहीं ठहर जाए बनकर जिसमे एक हमनवा, आगे वो कल नहीं एक एक करके जोड़ा मैनें जिस रिश्ते को, रहकर तेरे आँचल में तुने एक बार भी नहीं सोचा, बस तोड़ गया आकर एक ही पल में ऐ दिल चल अब छोड़ ये नादानीयाँ, तोड़ सब निशानियाँ अब जरुरत नहीं मुझें, किसी मझधार में फ़सी कोई कहानियाँ
कभी कभी कुछ रिश्ते बहुत खास बन जाते हैं कोई रहे कितना भी दूर फिर भी पास रह जाते हैं हाँ हो जाते हैं कभी कुछ गीले कुछ शिकवे मगर उन रिश्ते की जगह कभी कोई और ना ले पाते हैं