Sumit Chaudhary   (Sumit Chaudhary)
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Joined 11 December 2017


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30 MAR 2019 AT 19:21

हमारी सरकार आई तो #RCB के हर #खिलाड़ी के #खाते में

50 रन डालेंगे


-राहुल गांधी
😂🤣😊

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28 MAR 2019 AT 1:14

चलो बुझी हुई चिराग फिर जलाते हैं
कुछ राहों में फिर चल के दिखाते हैं

एक बन्द पड़े दरवाजे को घूरता था
सलाहियत से उसकी चाभी बनाते हैं

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20 MAR 2019 AT 1:00

क्या वक़्त ने करवट बदली हैं फिर से
जो दिल से मेरा था वो बदल गया दिल से

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17 MAR 2019 AT 0:25

किसे मैं ये समझाऊ या कौन सा दामन छुपाऊं
यहाँ हर रिश्ते में दाग हैं

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7 MAR 2019 AT 18:22

जब बदल रहा था सब कुछ तो
बदलते वक्त ने बदल दी शख्सियत,
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अच्छे से बुरा बना, बुरे से अच्छा
मेरे काम से कुछ अलग थी मेरी नीयत..….

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9 FEB 2019 AT 20:31

मेरे इस दिल में सिर्फ नाम तुम्हारा हैं या
बस वो कुछ बीता गुजरा वक़्त हमारा हैं
दिल जिन्दगी जीने को अब भी बेबस हैं
ना जाने दिल की ये कैसी कश्मकश हैं...
.
तुझसे जुड़ी कुछ ख्वाइशों से मैं जिंदा हूँ
तेरे साथ हूँ या उड़ता आसमान में परिंदा हूँ
मेरे सपने सुबह की आंखों से सहमत हैं
ना जाने दिल की ये कैसी कश्मकश हैं...
.
कब कैसे ये मेरा भाग्य जुड़ा गया तुझसे
लुढ़कती जिंदगी फिर से चढ़ने लगी तबसे
फिर कोई झूठ या यहीं मेरी जिंदगी का सच है
ना जाने दिल की ये कैसी कश्मकश हैं...

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9 FEB 2019 AT 11:17

वक़्त की तो नीयत हैं बदलना
तुम यूँ ही बेकार चिंता करते हो,
आज बुरा हैं तो कल अच्छा हैं
तुम बेकार कल में जिया करते हो.....
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Read whole poem in captions...

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8 FEB 2019 AT 20:16

खड़ा हूँ सवालो के पहाड़ के पीछे
तेरे जवाब का इंतज़ार हैं....
मेरे मुनाजातों में तुम बिना खबर के,
कुछ ख्वाब अभी असरार हैं....

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2 FEB 2019 AT 1:59

वक़्त बन के जैसे गुजर जाती हैं कभी
नजदीक जरा आ तो तुझे छू कर देखु,
बेखयाली के दौर में हम अब भी खड़े
कभी ख्यालों में आ तो तुझे छूकर देखूं...
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अकेलेपन में तेरी तस्वीर देखता रहता
कभी तस्वीर से बाहर आ तो तुझे छूकर देखूँ,
एक सपने में तुझे अब जीने लगा हूँ हर वक़्त
कभी हकीकत बन जाए तो तुझे छूकर देखूँ...
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बादलों के पीछे छिपी जैसी छांव हो तुम
कभी धूप बन जाए तो तुझे छूकर देखूँ
भूल जाऊ जैसे तेरे जज्बातों को हमेशा के लिए
पर जब फिर से याद आये तो तुझे छूकर देखूँ...
.
सागर के दूसरी छोर पर जैसे खड़ी हो
कभी नदियों के किनारे आ तो तुझे छूकर देखूँ
जिंदगी तू पानी सा बहता जा रहा हैं यूँ ही
कभी बर्फ बन के दिखा तो तुझे छूकर देखूँ...

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1 FEB 2019 AT 1:17

कुछ वक्त रहते मैं जीना सीख गया
चलते हुए कितनी दफा चोट लगी पैरों में
पर लड़खड़ाती जिंदगी ने चलना सीख लिया
वैशाखी की दीवारे बैसाखी बन के रह गयी
जिंदगी के हर हालात में रहना सीख गया
कुछ वक्त रहते मैं भी जीना सीख गया....

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