Chaudhary27192
चलो बुझी हुई चिराग फिर जलाते हैं
कुछ राहों में फिर चल के दिखाते हैं
एक बन्द पड़े दरवाजे को घूरता था
सलाहियत से उसकी चाभी बनाते हैं-
क्या वक़्त ने करवट बदली हैं फिर से
जो दिल से मेरा था वो बदल गया दिल से-
किसे मैं ये समझाऊ या कौन सा दामन छुपाऊं
यहाँ हर रिश्ते में दाग हैं-
जब बदल रहा था सब कुछ तो
बदलते वक्त ने बदल दी शख्सियत,
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अच्छे से बुरा बना, बुरे से अच्छा
मेरे काम से कुछ अलग थी मेरी नीयत..….-
मेरे इस दिल में सिर्फ नाम तुम्हारा हैं या
बस वो कुछ बीता गुजरा वक़्त हमारा हैं
दिल जिन्दगी जीने को अब भी बेबस हैं
ना जाने दिल की ये कैसी कश्मकश हैं...
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तुझसे जुड़ी कुछ ख्वाइशों से मैं जिंदा हूँ
तेरे साथ हूँ या उड़ता आसमान में परिंदा हूँ
मेरे सपने सुबह की आंखों से सहमत हैं
ना जाने दिल की ये कैसी कश्मकश हैं...
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कब कैसे ये मेरा भाग्य जुड़ा गया तुझसे
लुढ़कती जिंदगी फिर से चढ़ने लगी तबसे
फिर कोई झूठ या यहीं मेरी जिंदगी का सच है
ना जाने दिल की ये कैसी कश्मकश हैं...-
वक़्त की तो नीयत हैं बदलना
तुम यूँ ही बेकार चिंता करते हो,
आज बुरा हैं तो कल अच्छा हैं
तुम बेकार कल में जिया करते हो.....
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खड़ा हूँ सवालो के पहाड़ के पीछे
तेरे जवाब का इंतज़ार हैं....
मेरे मुनाजातों में तुम बिना खबर के,
कुछ ख्वाब अभी असरार हैं....-
वक़्त बन के जैसे गुजर जाती हैं कभी
नजदीक जरा आ तो तुझे छू कर देखु,
बेखयाली के दौर में हम अब भी खड़े
कभी ख्यालों में आ तो तुझे छूकर देखूं...
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अकेलेपन में तेरी तस्वीर देखता रहता
कभी तस्वीर से बाहर आ तो तुझे छूकर देखूँ,
एक सपने में तुझे अब जीने लगा हूँ हर वक़्त
कभी हकीकत बन जाए तो तुझे छूकर देखूँ...
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बादलों के पीछे छिपी जैसी छांव हो तुम
कभी धूप बन जाए तो तुझे छूकर देखूँ
भूल जाऊ जैसे तेरे जज्बातों को हमेशा के लिए
पर जब फिर से याद आये तो तुझे छूकर देखूँ...
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सागर के दूसरी छोर पर जैसे खड़ी हो
कभी नदियों के किनारे आ तो तुझे छूकर देखूँ
जिंदगी तू पानी सा बहता जा रहा हैं यूँ ही
कभी बर्फ बन के दिखा तो तुझे छूकर देखूँ...-
कुछ वक्त रहते मैं जीना सीख गया
चलते हुए कितनी दफा चोट लगी पैरों में
पर लड़खड़ाती जिंदगी ने चलना सीख लिया
वैशाखी की दीवारे बैसाखी बन के रह गयी
जिंदगी के हर हालात में रहना सीख गया
कुछ वक्त रहते मैं भी जीना सीख गया....-