Sumit Bhagat   (@_i_n_k_s_o_u_n_d)
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Joined 24 October 2017


Joined 24 October 2017
29 SEP 2021 AT 11:22

मैं तो मैं ही था
तेरे साथ ने मुझे हम बना दिया।











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27 SEP 2021 AT 21:12

यूँ ही निकल पड़ा सफर पर
मंजिल का कोई पता नहीं
जो देखूँ वही सोचने लग जाऊँ
पर करना क्या है पता नहीं
भटका है मन , भटका है दिल
किसी एक चीज का पता नहीं
लिखने बैठूँ तब भी सोचूँ
पर लिखना क्या है पता नहीं
कोई तो संभाले मुझको
पर है कौन वो पता नहीं।

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26 SEP 2021 AT 13:01

क्यों बेटियों का बहिष्कार करते हो?
आखिर बेटियों के जन्म से क्यों डरते हो?
धन, विद्या और शक्ति के लिए
लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा करते हो
फिर क्यों बेटा और बेटी में अंतर करते हो?
जब बेटियाँ ही न होगी
तो माँ, बहन और पत्नी किसे बुलाओगे?
सोचो अगर बेटियाँ ही न होगी
तो तुम भी जन्म कहाँ से पाओगे?
इनकी भी इज्जत करना सीखो
नहीं तो
खुद की ही वजूद बचा न पाओगे।

Happy Daughter's Day👧

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26 SEP 2021 AT 12:13

हाँ कुछ शौक मेरे भी थे
पर जब मैं पिता बना
तब से
अपने बच्चों के शौकों को ही पाला था
धूप, बारिश, चोट, ठंड, दर्द
कुछ न लगती थी मुझे
क्योंकि मैंने इनकी जिम्मेदारी को संभाला था
फिर क्यों ये छोड़ गए मुझे अकेले
क्योंकि मैं अब सिर्फ एक बूढ़ा था!
आखिर मैंने क्या बिगाड़ा था?

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26 SEP 2021 AT 9:00

गैरों में मोहब्बत ढूंढते रहे हम
मिलता की क्या हमें
जब अपनों से ही दरार था


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25 SEP 2021 AT 20:37

कलम को पकड़ना सिख गया हूँ
अब थोड़ा लिखना सिख रहा हूँ।



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9 SEP 2021 AT 16:04

चांद की चांदनी चादर के नीचे
मध्यरात्री में
आकाश में टिमटिमाते तारे
मंद ठंडी हवा में झूमते पेड़
बागों में
जुगनू से रौशन होती हर कली
कही थोड़े दूर से झरने की आती आवाजें
प्रकृति के इस अनमोल संगम के बीच
हमारा हो मिलन
कुछ ऐसी चाहत है मेरी


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7 SEP 2021 AT 16:34

क्यूँ चेहरा देख कर
विलन कहते हो मुझे
एक बार मेरे व्यक्तित्व को
परख भी तो लो तुम


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5 SEP 2021 AT 11:11

माँ
मेरी माँ
तू यार मेरी
तू प्यार मेरी
तू घर बार मेरी
तू संसार मेरी
तू खुशियाँ मेरी
तू संस्कार मेरी
मेरे जीवन के धुन की
तू झंकार मेरी
तू लाज मेरी
तू ताज मेरी
तू शिक्षक मेरी
तू ज्ञान मेरी
तू अभिमान मेरी
तू जान मेरी
माँ
मेरी माँ
मैं जो कुछ भी हूँ
वजह तू मेरी।

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31 AUG 2021 AT 11:41

सोचता रहूँ बस
मैं तुम्हे हर घड़ी
ना तुमसा कोई
कोई तुमसा नहीं।



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