सोचा था मैंने
कि मिलूँगा किसी रोज तुमसे
तुम्हें बिन बताए
देखना था तेरे चेहरे का वो रंग
जब तुम मिलती अचानक मुझसे
महसूस करना था
वो कुछ वक्त की खामोशी
और समझना था
जो तुम आँखों ही आँखों में
कहती मुझसे
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कितने खो जाते होंगे
तुम्हें देखकर
तुम्हें मालूम है क्या ?
यूँ जो तुम हर बार
पहले से ज्यादा खूबसूरत दिखती हो
तुम्हें मालूम है क्या ?
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कुछ तो जादूगरी रही होगी
उनकी नजरों में
जो पलकें झुकाकर भी
मेरा दिल चुरा ले गयी ।
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पापा आप अनुशासन हो मेरे
माँ तुम मेरी संस्कार हो
पापा आप हिम्मत हो मेरी
माँ तुम मेरी पहली प्यार हो
पापा आप ही घर हो मेरी
माँ तुम इस घर की जान हो
पापा आप मेरे अंधकार का सहारा
माँ तुम मेरा पूरा जहान हो
आप दोनों से मैं
मैं हूँ
चाहे पूरी दुनिया खिलाफ हो ।
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देखो वो तुझे
ऐसे क्यूँ देख रहा है?
वो तो खुद चाँद है ना
फिर बादल में छुप
मेरी चाँद को क्यूँ देख रहा है?
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हाँ वो हर बात पर टोकती है
वो तो माँ है ना
माना ख्याल थोड़े पुराने है
इसिलए तो हर बात पर डरती है
वो तो माँ है ना
वो चाहती है तुम उनके तरह मत बनो
वो जो सह रही वो तुम ना सहो
हाँ वो डरती है आज के जमाने से
तो क्या हुआ
वो तो माँ है ना
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बता क्या बताऊँ तेरे बारे में
तूने जो बताया है मुझे
या जो मैं तेरे बिन बताये जानता हूँ तुझे
कभी कभी तेरा अकेले खामोश बैठना बताऊँ
या हर रोज तेरा बहुत कुछ सोचकर भी
मुझसे थोड़ा कुछ ही कहना बताऊँ
तेरा गुस्से के बाद खुद में पछताना बताऊँ
या मेरे नाम से तेरा खिलकर हँसना बताऊँ
बता तेरे बारे में मैं क्या बताऊँ
तूने जो बताया मुझे वो बताऊँ
या तेरी अनकही बातें बताऊँ
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जीतने निकले थे दुनिया
हारे मन से घर लौटे थे
ये देखकर सुकून मिला दिल को
जो जन्नत ढूंढ आये सारे जहाँ में
वो जन्नत (माँ-पापा) तो घर ही बैठे थे ।
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तेरी हर अनकही बातों की गहराइयाँ
मैं सब जनता हूँ
कई बार चाह कर भी ना बोलना
मैं सब जनता हूँ
हाँ सोचना पर बताना मत मुझे
मैं तुझे औरों से बेहतर पहचानता हूँ
हाँ मैं सब जनता हूँ
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कल तक जो उड़ाता था पापा की कमाई
अब वो खुद कमाने लगा है
जब पापा की कमाई थी
तब दाम नहीं पूछता था वो किसी भी चीजों की
अब अपनी कमाई से इतना समझ गया वो
की अब वो बाजारों में मोल-भाव करने लगा है
कीमत अब समझ आयी उसे पैसों की
अब वो खर्च करने से पहले खर्च जोड़ने लगा है ।
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