Sumit BARJATIYA   (देसी कलम@सुमित बड़जात्या🙏)
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Joined 5 May 2019


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Joined 5 May 2019
31 MAY AT 6:27

इनक्रीमेंट ऐसा मिला जैसे व्रत में मिठाई —
देख के दिल भर लो, पर खा नहीं सकते भाई!



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30 MAY AT 2:23

जब कोई ना सुने, तो किताबें पढ़ लेना — ये बेआवाज़ ख़िताब अक्सर सबसे गहरे जज़्बात बयाँ कर देती हैं।

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28 MAY 2021 AT 10:56

ये ख्वाइशों की उछाल हे,
या जीने का जज्बा..
उड़ता चला जा रहा हु,
खुले आशमा मैं परदा !

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26 MAR 2020 AT 2:42

वज़ूद तलाशना हैं तो शख्सियत को संभालना,
वर्ना ज्ञान देने वालीं किताबें भी अक्सर नीलाम होतीं हैं बीच बाजार में. 🤫

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14 FEB 2020 AT 10:35

प्यार के निचोड़े आशिकों....

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14 FEB 2020 AT 10:20

एक लंबे सफ़र से यू राबता हुआ,
समुंदर की गहराइयों में मिलता चला गया,
किनारा जब मिला तो ये राज़ ए-दिल खुला,
और अनकही बातों में जीता चला गया!

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14 FEB 2020 AT 10:10

ज़िंदगी के हसीन लम्हों में तू काश साथ होता, 
काश साथ ना होता, अगर तू काश साथ होता!

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4 DEC 2019 AT 21:04

बेशक रह लेगी तू मेरा बिना ये पता है हमे,
पर किसी कोने मे उस दिल के आज भी ये फ़रियाद होगीं की काश ये ना होता.....
काश ये ना होता.......

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2 DEC 2019 AT 9:16

बस गुजारिश रह जाती हैं.... तुमसे मिलने की,
पर तमन्ना कभी पुरी होती ही नहीं!

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2 DEC 2019 AT 7:58

उसे गुनाह कहू या उसकी खता,
जो बिना साथ निभाए छोड़ के चल दिया,
अब सिर्फ आश है तो राधे नाम की, क्योकि पूरा संसार छिपा है इसी नाम मे......

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