इनक्रीमेंट ऐसा मिला जैसे व्रत में मिठाई —
देख के दिल भर लो, पर खा नहीं सकते भाई!
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Shayad yehi aur sirf yehi meri pehchan hai !
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जब कोई ना सुने, तो किताबें पढ़ लेना — ये बेआवाज़ ख़िताब अक्सर सबसे गहरे जज़्बात बयाँ कर देती हैं।
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ये ख्वाइशों की उछाल हे,
या जीने का जज्बा..
उड़ता चला जा रहा हु,
खुले आशमा मैं परदा !-
वज़ूद तलाशना हैं तो शख्सियत को संभालना,
वर्ना ज्ञान देने वालीं किताबें भी अक्सर नीलाम होतीं हैं बीच बाजार में. 🤫-
एक लंबे सफ़र से यू राबता हुआ,
समुंदर की गहराइयों में मिलता चला गया,
किनारा जब मिला तो ये राज़ ए-दिल खुला,
और अनकही बातों में जीता चला गया!-
ज़िंदगी के हसीन लम्हों में तू काश साथ होता,
काश साथ ना होता, अगर तू काश साथ होता!-
बेशक रह लेगी तू मेरा बिना ये पता है हमे,
पर किसी कोने मे उस दिल के आज भी ये फ़रियाद होगीं की काश ये ना होता.....
काश ये ना होता.......-
बस गुजारिश रह जाती हैं.... तुमसे मिलने की,
पर तमन्ना कभी पुरी होती ही नहीं!-
उसे गुनाह कहू या उसकी खता,
जो बिना साथ निभाए छोड़ के चल दिया,
अब सिर्फ आश है तो राधे नाम की, क्योकि पूरा संसार छिपा है इसी नाम मे......-