नींद भरी आंखों से Typing
करती रहती है वो
मुझे नींद नहीं आती जल्दी
इसलिए जगती रहती है वो-
गांव, गलियां, घर, प्यार, रिश्तें
ना जाने क्या-क्या सीना है हमसे
ऐ जिंदगी बस, गुज़ारिश है इतनी
अब "अकेलापन" तो रहने दें..-
“चॉंद को इतना तो मालूम है तू प्यासी है
तू भी अब उसके निकलने का इंतज़ार न कर
भूख गर ज़ब्त से बाहर है तो कैसा रोज़ा
इन गवाहों की ज़रूरत पे मुझे प्यार न कर”-
लाखों मेले होंगे हजारों महफिलें होंगी
तुम्हारा साया होगा तुम्हारे अफसाने होंगे,
आज सगाई हुई है किसी गैर के साथ
कल जब वो संग होगी, फिर भी हम अकेले होंगे
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तुम ज़रा बचकर मेरे लफ़्ज़ों से रहना
मेरी ख़ामोशियां भी अक्सर चीखती है...!!
~ सुमेर दहिया
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उन्होंने सोचा वो
हमारे सवालों के जवाब देंगे
मैंने ख़ामोश रहकर
पासा पलट दिया-
महंगे तोहफ़ों में आशिकों की
अमीरों बहुत देखीं
दो दिलों की बढ़ती
करीबी बहुत देखीं
तेरी इक झलक पाने को
तरस जायेंगी निगाहें मेरी
ऐसी इश्क़ की फ़कीरी नहीं देखीं
-
ज़रा तमीज़ से पेश आइए हमसे
बाकी औकात से तुम्हारी तो
हम अच्छी तरह वाकिफ़ है।-
चार दिन हमारे साथ रहकर
तो देखिए ज़ानिब,
हम सा आशिक, हमसे बुरा,
ग़र कोई मिल जाए
तो हमसे कहना...।-
मेरी प्रेमिका को
पूरा गांव जानता है
एक हम ही ठहरे बदनसीब
जो उसे नहीं जानते ।।-