मेरी सारी उम्मीद फ़क़त मुझ से है, लोगों से उम्मीद रख के क्यों नाउम्मीद हो जाऊं मैं..
मेरा दर्द, मेरी तकलीफ़, मेरे रंज में कौन था मेरा, क्यों किसी के भी आगे सर को झुकाऊं मैं..
ग़म-ए-दहर का कोई होश भी न रहे मुझे, इतना मतलबी नहीं के अपने ही ग़मों में मुब्तिला हो जाऊं मैं..
ये जो कहते हैं मुझे के कितना बेदर्द हूं मैं, अब क्या आँखों से बेमतलब दरिया बहाऊं मैं..
मेरे साथ कोई न चले ये ग़म नहीं रहता मुझे, इतना मुकम्मल हूं के अकेले ही इक कारवां कहलाऊं मैं..
मेरी तन्हाई माना के बेहद प्यारी हैं मुझे, मगर कोई साथ जो मांगे तो क़दमों में बिछ जाऊं मैं..
मेरे अंदर की नाउम्मीदी के पैमाने का मेयार जो टूटे, तो हर किसी को फिर अपने गले से लगाऊं मैं..
मेरी कोशिश यही, मेरी वजह से न दुखे दिल किसी का, मेरा मकसद यही के मरने के बाद भी दिलों में ज़िंदा रह जाऊं मैं..-
पुरानी सी सादगी लिए इस नए ज़माने की इक शायरा..
टूटी हुई मग... read more
प्यार, मोहब्बत और इश्क़..
♥️प्यार: जो आप सबसे कर सकते हैं, ख़ुदा की बनाई हर चीज़ से.. चरिंद-ओ-परिंद, शजर, बशर, दरिया-ओ-पहाड़, दोस्त, भाई, बहन, मां-बाप, और तमाम मखलूक से..
🤍मोहब्बत: जो किसी एक से होगी तो, उसकी इंतेहा भी नहीं होगी..मगर जिससे होगी उसको हासिल कर लेने की कसक हमेशा ही रहेगी.. ये लाज़मी हो जाएगा कि आप उसे पा ले..
🖤इश्क़: इक फ़र्ज़ की तरह है.. जिससे हो आपका ये फ़र्ज़ है उससे ता-उम्र इक फ़र्ज़ की तरह इश्क़ करते रहना.. इश्क़ का मिल जाना लाज़मी नहीं होता, इश्क़ बिना किसी शर्त के या उम्मीद के बे-लौस अपना फ़र्ज़ निभाने जैसा है...
इश्क़ ना-मुकम्मल होके भी मुकम्मल है..
इश्क़ किसी शर्त से बंध जाने का नहीं आज़ाद हो जाने का नाम है..
इश्क़ वो है के जिसके बाद फिर कभी इश्क़ ना हो..
फ़र्क है..🍁-
बातें, अफवाहें, किस्से-ओ-कहानी में उलझ जाते हैं लोग..
किसी के दिल का हाल कहां जान पाते हैं लोग..
है रूह का मुआयना करना बेहद लाज़िम..
वरना समंदर को भी दरिया समझ लेते हैं लोग..-
इक वक़्त आता है हर दर्द पे मुस्कुराना आता है..
इक वक़्त आता है हर दर्द ही दवा बन जाता है..-
दिल-ओ-दिमाग के बीच मानो इक जंग चलती रही..
वक़्त बीत गया, साल ख़त्म हुआ, मगर ज़िन्दगी रुकी रही..-
दौर-ए-ज़ीस्त क्या है?, फ़क़त मलालों का इक ढ़ेर..
हर पल गुज़रता है इक मलाल में..
काश ऐसा हो जाता, काश वैसा होता, काश आगे ये हो जाए..
इन सब के बीच ना हम अपने आज को खो देते हैं..
इस मलाल के ढेर में से उम्मीद के कतरे को ढूंढ कर अपना आज बेहतर करें.
ये माज़ी और मुस्तकबिल की ख़लिश में अपनी ज़िंदगी को बेरंग न करें..
आज के रंग में अपने हर पल को रंग देना, मलालों से ज़िदंगी को बेरंग कर देने से बेहतर है..
हर रात के बाद दिन है, और हर अंत इक नया आगाज़ है..
तो मुस्कुराएं और शुक्र अदा करे..-
मैं फ़क़त इक ख़्याल हूं, कोई हक़ीक़त नहीं..
मैं पैहम ठहरा नज़र आऊंगा तुम्हारे तसव्वुर में कहीं..-
हासिल कर लो कितनी डिग्रियां, दौलत-ओ-शोहरत
या पहोच जाओ आसमां पे..
किसी का दर्द जो न पढ़ पाए वो इंसान ग़ैरत करे खुद पे..-
तुम्हारे अंदर की कश्मकश साफ दिखती है आंखों में, ज़रा दिल को अपने थाम कर रखो..
ये जो नुमायां है शिकन माथे पे दौर-ए-फ़ुरक़त की, ज़रा इसे ज़माने से छिपा कर रखो..
यूं तो कोई राब्ता नहीं, न कुछ भी है दरमियां..
मगर जो ठीक सा नहीं लगता, उसे भी ठीक करके रखो..
मेरा ज़र्फ़ तो ये है के मुझ पे हर दर्द रहा बेअसर..
मगर ऐ दिल अपनी बेज़ारी को, ज़रा अपने मन में दबा के रखो..-
When you question yourself you get solutions and everything becomes easy,
But if you keep on questioning others then new questions will arise and everything becomes messy!
-Sum🖤🍁-