भूल चुके जिस अक्स को हम,
उसकी थोड़ी जिक्र की जाए
वफ़ा–ए–खयाल से निकल ,
खुद की थोड़ी फिक्र की जाए।-
आप सभी से एक सस्नेह अनुरोध.....
मेरी रचना को पढ़े, अच... read more
ना पाला करो "मन"
इसे सहेजने में
उम्र की सारी कड़ियां टूट जाया करती हैं।-
कभी कभी समानांतर चलते है
शोर और अंतर्द्वंद्व
कभी विश्वास और आत्मविश्वास,
एक ही पहलू में छिपे होते हैं
जिंदगी के दो रूप,
कभी भावातिरेक से भरा हुआ
कभी जज्बातों के बांध को समेटे हुए
कभी चंद शब्दों में विस्तृत
कभी गुम अर्थों में सिमटे हुए,
जिंदगी क्या है ?
मानो तो एक सुकून का जरिया है,
वरना कई किस्सों से भरा एक दरिया है।— % &-
यूं तो कई किस्से है जीवन में
आंसू बहाने को,
तो पीड़ में भी मुस्कुराना सीखो,
कई लम्हें आयेंगे जायेंगे
हर लम्हें को गुनगुनाना सीखो,
कभी जो उदासी के मौसम छाए
उसमें भी दिल बहलाना सीखो,
सही गलत जिंदगी के दो पहलू हैं
उन पहलुओं को पहचानना सीखो,
तुम कैसे हो ,क्या हो, जो भी हो
खुद को अपनाना सीखो।— % &-
दूसरों से पहले खुद से प्रेम करिए,
क्योंकि जब कोई साथ नहीं होता
तब सिर्फ आप खुद के साथ खड़े होते हैं।
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कुछ दिनों के लिए स्थगित करती हूं
उस खयालात को
जो मेरे जज्बात से ना मिलती हो,
कुछ दिनों के लिए स्थगित करती हूं
उस दूरियों को
जो मुझे विवशता से जोड़े,
कुछ दिनों के लिए स्थगित करती हूं
उन सपनों को
जो मुझे अपनों से ना मिली हो,
कुछ दिनों के लिए स्थगित करनी है
मुझे उस भविष्य को
जो मुझे वर्तमान से ना जोड़ती हो,
कुछ दिनों के लिए स्थगित करती हूं
इस अलगाव को
जो मुझे दो हिस्सों में बांटती हो,
कुछ दिनों के लिए स्थगित करती हूं
उस झिलमिलाते प्रतिबिंब को,
जो मेरे अक्स को धूमिल करती हो।— % &-
तमन्ना की जिसकी वही वफ़ा-ए-आस बन पाऊं,
हर कदम,हर जनम साथ रहे वो हमराज बन पाऊं।— % &-