Súmãñ Sõùrábh   (बाबा की कलम से)
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Joined 2 November 2019


Joined 2 November 2019
30 AUG AT 12:14

यूं सामने बैठ कर खामोशी से
क्यूं पढ़ती हो
जिक्र करो ना
जरा कुछ कहो
इंतजार का सन्नाट...
अब बस भी करो ना

✍🏻Mr168



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29 AUG AT 22:21

ज़िंदगी यूं ना जीये
अधूरे मन के साथ
जिंदगी यूं ना जीये
अकेले मन के साथ
जिंदगी जीये
खुद को आगे रख अपनो के साथ
जिंदगी जीये
नये विचारों तथा उत्तम ख्यालों के साथ

आपका लेखक

✍🏻Mr168

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29 AUG AT 21:50

देखा जो पहली बार
शांत धीर और स्थिर......
देखा जो अगले पल
चहकते झूमते मुस्कुराते
मन मेरा भी झूम मुस्कुराया
जो देखा निश्छल सादगी तुम्हारा
दिल जताने को चाहा कि क्या क्या देखा ....
गंगा सी आंखों में
आपका लेखक...

✍🏻Mr 168

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28 AUG AT 21:22

धीर हूं
मैं अधीर नहीं
प्रतिक्षा हैं
मित्रवत होने का
तुमसे जुड़ने का और तुमको जानने का

✍🏻✍🏻✍🏻Mr168

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28 AUG AT 2:03

क्या लिखूं
कि तेरी नजरें कमाल हैं जिसमें डूब आया मैं
क्या लिखूं
कि तेरी अदाएं कमाल हैं जिसका हो आया मै
क्या लिखूं
कि तेरा रुप कमाल हैं जिसमें खो आया मैं
क्या लिखूं
तुम और सिर्फ़ तुम

✍🏻✍🏻✍🏻Mr168


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28 AUG AT 1:54

ज़हर जहन लग गया
प्याला जो विष का पिया
लहू ना रहा
विष हि हैं अब तुम्हारी याद का
जऱ जऱ खत्म
तुम्हारी याद में हुआ....

✍️Mr168


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28 AUG AT 1:46

हां मुझे पसन्द आया
तुम्हारा मुस्कुराना
हां मुझे पसन्द आया
तुम्हारा बालों को संवारना
हां मुझे पसन्द आया
तुमपर लिखना
इसका मतलब हैं
तुम्हारा सम्मान
व्यक्तिव का प्रभाव
और तुम्हारी मौजूदगी सिर्फ तुम्हारी


✍🏻Ms168

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28 AUG AT 1:31

उसके आंखों के सन्नाटों को देखा
बिना लिखे रहा नहीं गया
उसकी खुबसुरती देखी
बिना लिखे रहा नहीं गया
उसकी सादगी देखी
बिना लिखे रहा नहीं गया
उसका चंचल मन देखा
बिना लिखे रहा नहीं गया
हैं पूरी वो किताब किंतु
लिखने से मना कर गई

✍🏻Ms168

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10 SEP 2023 AT 23:58

हो अंत.....
मेरे इस अनंत इच्छाओं का
ये इच्छाएं अनन्त इच्छाएं
हैं अंतिम-द्वार इच्छा
ये काल स्वरूप इच्छा


✍️✍️✍️सु० सौरभ


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13 JAN 2022 AT 12:18

उनकी यादों को भी याद रखिये
उनकी निगाहों को भी याद रखिये
हम तो कहते हैं ऐश किजिये
और खुद को भी याद रखिये☺️👍

✍️✍️✍️सु०सौरभ

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