पता है!
मुझे पता ही नही था कि कब मैं तुम्हारे लिए इतनी जरूरी हो गई,
तुमने अपनी हर खुशी मेरे साथ चाही, तुमने सपने मेरे लिए देखें,
मैं तुम्हारी ख्वाहिश से बढ़कर तुम्हारी जिंदगी बन गई,
तुमने मेरे लिए अपनी सीमाएं बढ़ा ली और कभी मुझे अपनी इन सीमाओं में नही बांधा।
मैं जान ही नही पाई कि तुम्हारे लिए मैं सिर्फ एक पसंद की लड़की नही रह गई थी,
तुमने मुझे अपनी पसंद नापसंद, और दूसरों से तुलना में नहीं डाला,
तुमने मुझे बस खुद में शामिल किया,
"जैसे मैं वही हूं जो तुम हो, मैं तुममें हूं और तुम मुझमें खुश"...-
Yade, bate aur tum...
ख्यालो में खोई चंचल सी एक लड़की,
परायो में पली... read more
तुम ख्याल हो मेरा, बनता, बिगड़ता, उछलता, मचलता, खूबसूरत, शरारत, बचपना, लड़कपन...
तुम हो तो ही मैं मासूम हूं...
तुम नही तो मेरा मौसम भी रंगीन नहीं...
जैसे भी हो पर होने चाहिए...-
मुश्किल है हर छूटती हुई चीज को अपना पाना, पर यकीन किया जो भी होगा यकीनन बेहतरीन के लिए होगा "तुम्हारे भी और मेरे भी" कान्हा जी जो है...
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जब तक आपको एहसास होगा कि कोई आपसे कितना प्यार कर सकता है...
तब तक आप शायद खुद के लिए उसका प्यार खो चुके होते है...-
नाराजगी, नफरत, गुस्सा सब था उस वक्त...
पर प्यार उससे भी ज्यादा था उस वक्त...
खुद को इतना डूबो दिया कामों में,
कहा है, पता नही,तुम, मैं और सब...
गलती हुई जो हिम्मत न कर सकें,
जिंदगी भर रोना है अब...-
हाँ वो कुछ ज्यादा कोशिश करता है,
थोड़ा ज्यादा ही फिक्र करता है,
कुछ ज्यादा सोचता है...
हां,तो मैं बस इतना करती हूं,
उसे ये सब करने की
छोटी - छोटी वजह दे देती हूं।-
कुछ अनकहे से सवाल है, जो अंदर बेचैन करते है मुझे शायद इसीलिए मैं तुमसे मिलती हूं और नजरे नहीं मिलाती। चली आती हूं तुम्हें बिन बोले कि " तुम वो नही हो जिससे मैं सब कुछ कहूं बिना कोई संशय या हिचक के..."
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मैंने जाना,
जीवन में अपना कौन है!
मैंने पाया,
गैरों में भी सगा कौन है!
सच में,
वो जो सब जानकर भी आपको समझे,
वो जो हालातों को समझे फिर मुझे समझाए,
वो जो लोगों की नफरत लेकर भी प्यार करे,
वो बिना शिकवा करे अंधा विश्वास करे...
पता है ये सब मैंने पाया है...
तुमसे और हमेशा पाने की उम्मीद भी करती हूं...
मैं,वक्त, दुनियां, अपने, रिश्ते चाहे जो भी बदले,
पर तुम बस मुझे समझना मेरी आत्मा को अपनाना
और मैं मुस्कुराऊंगी तुममें... हमेशा हमेशा...
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मैंने देखा उसकी फोटो को किसी बड़े पोस्टर में,
याद आया ऐसी ही उसकी चर्चा चाही थी रब से,
सोचा था कैसा होगा वो पल
"जब उसको बुलंदियों पर देखेंगे"...
खुशी हुई वो कामयाब हुआ है...-
तुम्हें प्रेम की संज्ञा क्यों न दूं कान्हा!
जब मेरे दुःख और दर्द को जान तुमने मुझे हमेशा एक सुरक्षित जगह पहले ही पहुंचा दिया, कैसे मैं कहूं तुम नही हो मेरे पास, तुम सब जानते हो, जो होना है इसलिए मेरे लिए हमेशा एक छांव रखी तुमने।
कान्हा मुझे बस आप अपने पास रखो और सब मुझे नही सोचना।-