लगाओ एक आवाज़ और कारवाँ हजार हो,
चलाओ तीर धर्म के अधर्म तार तार हो।
मिलेगी जीत जीत के, साथ हो अगर तेरा,
हार हारेगा चाहे, मौत का कगार हो।
सरस्वती भी साज के साज फिर बजाएगी,
गिरोगे तुम धरा पे माँ कालिका भी आएगी,
मरने का न दुख तुम्हें वीर तुम महान हो,
माँ भारती तुम्हें वही गोद में सुलाएगी।
वासुदेव साथ कर प्रणाम हाथ जोड़ कर,
पापियों का नाश कर भुजाएं उनके तोड़ कर,
अधर्म की ओर से, मिलेंगे भीष्म द्रोण कर्ण,
गांडीव टंकार कर पार्थ स्वार्थ छोड़ कर।-
Not a good versificatior but always try to do it...
Truthful & Down to earth
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सत्य की खोज में
सत्य की ही खोज में असत्य से मिला किये,
मौत को ही पाने को एक जिंदगी जिया किये।
घुट घुट के जीने से कहीं पलभर में मरना अच्छा था,
पलभर में मरने के लिए जहर जिंदगी पिया किये।
भाग्य के बलबूते कोई राज्य कर रहा यहाँ,
कर्म अच्छा कर कोई बेचैन ही रहा किये।
अधर्मी भी प्रमाण अब धर्म का हैं मांगते,
एक राम सत्य सुनने को क्या क्या नहीं सुना किये।-
पुण्य और पाप
उलझ गया हूँ इस जगत के पुण्य और पाप में,
ठहर गया हूँ इस जगत के शीत और ताप में।
सही और गलत में चयन बहुत आसान है,
है कठिन गलत और बहुत गलत के माप में।
कर्म अच्छा करने का ज्ञान न लिया कभी,
अब समय गुजर रहा है तप और जाप में।
बुरे कर्मों का जहाँन में फ़लसफ़ा अब दिख रहा,
केस चल रहा यहाँ बेटे और बाप में।
पाप हमनें सौ किये तो एक आप भी किये,
फिर फर्क रह गया है क्या मुझमें और आप में।-
लव जेहाद
लिखना मेरा काम है और लिखता जाऊँगा,
चाहे नजरें फेर लो पर दिखता जाऊँगा।
बात सच्ची है यही अब जो मैं हूँ कह रहा,
इस वतन में वेदना बस हिन्दू ही है सह रहा।
इन हिंदुओं की बेटी को वो फसाते हैं,
जाने क्या सपने दिखा कर वो भागते हैं।
हिंदुत्व के प्रति उनका कान भरा जाता है,
निकाह कर उनका धर्म बदल दिया जाता है।
कुछ दिन तक ये सिलसिला सब ठीक चलता है,
इस मतलबी प्रेम का फिर वक़्त ढलता है।
धीरे धीरे अब वो अपना रूप दिखाते हैं
छोटी छोटी बातों पे अब उसे धमकाते हैं।
ऐसे जी जी कर अब वो घुटने लगती है,
अंदर ही अंदर से अब वो टूटने लगती है।
आवाज उठाने पे उसको फिर छोड़ दिया जाता,
बिना तलाक दिए ही रिश्ता तोड़ दिया जाता।
नई दुल्हन आते ही घर से ये निकाली जाती है,
लाचारी के कारण ये कुछ कर नहीं पाती है।
इस घिनौनी सच्चाई को यहाँ सभी हैं जानते,
कानून बनाएं इसपे भी पर ये नहीं हैं मानते।
खोखली सरकार का ये खोखला कानून है,
लव जेहाद से बचे रहें बस इतना सा जुनून है।-
कौन हूँ मैं क्या नाम है मेरा क्या करेगा जान कर,
वक़्त अभी चल रहा है तेरा थोड़ा और अपमान कर।
अपने मुँह मियाँ मिट्ठु बन राग अलाप जरा अपना,
वक़्त अभी चल रहा है तेरा थोड़ा और अभिमान कर।
बहस छिड़ी है जिन बातों पे उन बातों का शीर्षक मैं,
जिस स्कूल में पढ़ता है तूँ उस स्कूल का शिक्षक मैं।
तेरी हरकत रास न आई पहली गली से निकलता चल,
इंसानों का रक्षक हूँ मैं शैतानों का भक्षक मैं।-
हम तेरे जज्बातों की दिल से कदर करते है,
तन्हां हैं और तन्हां ही हम बसर करते हैं,
क्या सोचते सब मेरे लिए इसका फर्क नहीं पड़ता,
देखना ये है के मेरी बातें तुझपे कितना असर करते हैं।-
मदमस्त रहता हूँ तेरे धुन में, जपता हूँ नाम तेरा दिनभर,
प्रभु धर्म, धाम, सम्मान तुम्हीं, भजता हूँ तुम्हें गुरुवर गुरुवर।।
हाथ जोड़ और शीश झुकाकर, वंदन करता तुम्हें प्रथम प्रहर,
श्रद्धा अर्पित कर चला सुमन अब, मायानगरी के कर्मपथ पर।।-
क्या छंद लिखूँ क्या बंद लिखूँ , या जीवन रस का कुछ अंग लिखूँ।
जो लिखने लगा बस इतना लिखा, के रसिक छोड़ कुछ लिख न सका।
जो जाना रसिक तुम्हें बस इतना, बस तप तप कर तपते रहना।
जो माना रसिक तुम्हें बस इतना, बस जप जप कर जपते रहना।।
क्या मेल लिखूँ क्या मिलाप लिखूँ, या तेरे बिछड़न का विलाप लिखूँ।
जोे लिखने लगा बस इतना लिखा, के रसिक छोड़ कुछ लिख न सका।
जो जाना रसिक तुम्हे बस इतना, ध्रुव धैर्य धुरंधर धर्मात्मा।
जो माना रसिक तुम्हें बस इतना, प्रभु प्रेम प्रसारित परमात्मा।।-
नजर
प्यार में एक दूजे से नजरें मिलाते लोग,
निगाहें जब हुई चार तो नजरें झुकाते लोग।
इश्क़ के महफ़िल में जो मुझे छलते रहते थे,
किरदार से वाकिफ हुआ नजरें गिराते लोग।
वक़्त जब अच्छा था तो सब साथ रहते थे,
आई मुसीबत तो वही नजरें फिराते लोग।
जिसपे होता जान निछावर वो भी बदला है,
मिलने पे आवाज़ दो नजरें बचाते लोग।
अपने रुतबे की खनक में चूर रहते हैं,
निसहाय के अधिकार पे नजरें गड़ाते लोग।
अपना कुछ भी है नहीं सब अपना कहते हैं,
कुछ दान कर अभिमान से नजरें उठाते लोग।-