क्यूं कोई हमें हमारे जैसा निःस्वार्थ भाव से, निश्चल प्रेम नहीं करता ?
कितना सुकून होता ना उनसे दूर रह कर भी ऐसी ज़िंदगी जिने में ,
जिसमे कोई मेरे जैसा शिद्दत से, मुझे प्रेम करता .......
-सुman-
जिंगदी में, मुझे ऐसा कुछ भी नहींं चाहिए जिसपे किसी और का भी हक हो ।
फिर चाहे वो इंसान हो या फिर सामान ।
- सुman-
कितना समेटूं तुझे ये जिंदगी,
जितना भी समेटूं, तु बिखरती हिं जा रही है ।
-सुman-
शादीशुदा होकर भी किसी से इश्क़ करना,
कितना मुश्किल है।
हम उसके हो भी नहींं सकते और उसके बिना रह भी नहींं सकते।
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किसी की कहानी मेरी जुबानी............
-सुman-
लोग कहते हैं की प्रेम सा पवित्र कुछ भी नही,
लेकिन जिसने भी प्रेम किया,
उसे चरित्रहिन इत्यादि जैसे शब्दों से हि तो नवाज़ा गया।
-सman-
प्यार
वो इस कदर हमसे प्यार करते हैं
मेरे सामने बैठ कर, किसी ओर की बातें करते हैं।
ना अपनी परेशानी हमसे साझा करते हैं,
और ना हिं मेरी परेशानी समझते हैं,
वो इस कदर हमसे प्यार करते हैं ।
-सुman-
दुःख तो तब होता है जनाब,
जब हम आपके शहर में पहली बार आये,
और आप हाल-चाल भी पूछना मुनासिब न समझे।
-सुman-
अगर आप गंगा सी पवित्र स्त्री पाने की इच्छा रखते है,
तब आप शिव के जैसा शिश पर बिठाने की क्षमता भी रखे।
-सुman-