कुछ याद आया तो लिखेंगे फिर कभी,
अभी तो मेरी रूह एक मुलाक़ात मांग रही है।।
उतार देंगे इस कदर, इन पन्नों में तुझको
कि मेरा ना हो कर भी सिर्फ तू मेरा ही कहलायेगा।।-
चलो एक तारीख तय करके मुलाकात करते है,
कुछ सफर तुम तय करो ,
कुछ सफर हम तय करते हैं। ।-
तुम्हें सच मे समझता है कोई?
कि बस सलाह देते है सभी?
उलझने तुम्हरी अलग हैं,
लेकिन फिर भी अपने आप से तुलना करके,
तुम्हें तुम्हारे अतीत से मिला देता हैं कोई?
तुम्हारे परेशानियाँ क्या है,
ये ना जानते हुए भी,
तुम्हरी कहानी में शायद तुम्हीं गलत थे,
इस बात का मलाल करा देता है कोई?
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अपनी यादों के पिटारे से, मुदतो बाद कुछ अल्फाज लाई हूँ ,
जाहिर कर के भी ना समझा सकी किसी को ,
अपने वो कुछ घाव लायी हूँ
कहो कैसे और कहाँ जाहिर करू,
पन्नो पर या किताबो पर ,
समंदर पर या उसके किनारो पर ,
खैर छोडो ,
दूर किसी जंगल के किसी दरिया सा गुमनाम कर देंगे,
तेरे घावों से ,हम खुद को आबाद कर लेंगे।।
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Person with Nobel heart will never die even after their death..Their good qualities influence others to tend right path..men with good heart and good qualities never waits for anyone's praise...
They always want to live for others...
If we only think about ourselves then there is no difference between animals and us ....
Men who sacrifice their lives for others sake will dwell forever in a world bliss-
उनकी बड़ी- बड़ी आँखों में ललकार थी,
काजल नहीं दहाड़ थी,
लंबे केश ,
जो क्षत्राणी की शान हैं,
सौंदर्य मत पूछो क्षत्राणी का,
एक झलक पाने को,
इतिहास रच दिए जाते थे,
चित्तौड़ के राजा रतन सिंह की पत्नी थी पद्मिनी,
सन 1303 में खिलजी , महारानी पद्मिनी का सौदर्य सुन लालचाया था ,
देखने की लालसा में आक्रमण का पहला पड़ाव डाला था ,
मर्यादा व राजपूती स्वाभिमान के खातिर महारानी ने जौहर व्रत कर डाला था,
16 हजार रानियाँ, दासियों और बच्चों समेत खुद को अग्नि में सौप डाला था,
झलक और परछाई छोङ ही दो, खिलजी अस्थियों को भी ना पाया था,
सन 1535 में गुजरात के शासक बहादुरशाह ने ,
चित्तौड़ की रानी कर्णावती पर बुरी नजर डाली थी,
तब रानी ने भेज कर राखी हूमायूं से मदद मांगी थी,
देर हुई हूमायूं को आने में,
लेकिन कर्णावती को अपनी लाज बचानी थीं,
तब 13 हजार रानियों समेत कर्णावती ने जौहर स्वीकारा था।
सन 1567 में जब अकबर भुला अपनी मर्यादा,
रानी फूलकंवर ने हजार रानियाँ के साथ जौहर को स्वीकारा था।
क्षत्राणी यू ही नहीं कहाँ जाता हैं,
क्षत्राणी का सिर कट सकता हैं, पर झुक नहीं सकता,
क्षत्राणी अपने स्वाभिमान के लिए जानी जाती हैं। ।-
Some friends are like Analgesics..
Who relieves the pain..
Without asking the reason of pain..💕-
तू बोल तो पुराने रिवाज फिर से चला दूँ,
ख़त तेरे वो प्रेम के,
किताब से निकालू और आग लगा दूँ।
रास्ता तूने बदला,
तू बोल तो लहजा मैं बदल के दिखा दूँ।
मोहब्बत का मज़ाक तूने बनाया,
तू बोल तो मसरूफ़ियत. मैं भी दिखा दूँ।।
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It's an ancient tale of being apart..
Yeah It's been years..
Someone admired me the most..
Yeah It's the beginning of all the hope...
Nd we just participated in the games of heart..
the sunrays scattred upon the face...
the flowers blossom in the rain..
That letters nd flowers touches my soul..
Nd It feels like I'm dancing upon the branches of tree..
That nonsense topics sounds melody to ears..
It seems that his soul lives in my heart..
No distance can make us apart..
We became reflection of each other's heart..
Nd it seems Divine to all..
But
Now when I stare at my past..
I get lost in darkness of time ..
I don't know who is right, who is wrong..
But nothing left between us..
Those promises of love started to fade..
Nd I feel nothing , no emotion left..
Nd everyone was like..."don't say anything your eyes say it all"...
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गुज़र गया यह साल भी यूही।
कुछ नया तो मिल रहा हैं।
लेकिन पुरानों का ना होना अखर रहा हैं।
अभी मानो कल की ही तो बात थी।
नयी ज़ज्बात, नयी मुलाकात और नयी बात थी।
तो ये साजिशों में क्यु उलझ रहा है सब कुछ ।
क्यु लग रहा है कि मानो कोई अपना खोने को है।
माना ये एक दौर था, खेल- लडाई में बीत गया। ।
हार-जीत तो नियम है, हमे ये समझाने का सुक्रिया।। ।
"मैं क्या हूँ " के सफर में मुझे एक कदम और आगे ले जाने के लिए सुक्रिया।।
@Devraj_Nagar_sir💞-