sukushi   (sukushi)
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Soch ke sagar mein doobna nahi aata,
Likha wahi jata hai jo bola nahi jaata. -sukushi
Joined 21 August 2017


Soch ke sagar mein doobna nahi aata,
Likha wahi jata hai jo bola nahi jaata. -sukushi
Joined 21 August 2017
17 APR AT 17:13

जान लगा दी रिश्ता निभाने में,
और उनका सवाल है -
कि हमने उनके लिए क्या किया ,
अब समझ आया-
कि हमने बेहिसाब वक़्त बेमतलब की चीज़ में गवां दिया॥

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10 APR AT 12:36

पहली मुलाक़ात की यादें कुछ यूँ सजा कर रखी है
के उसकी ज़हनी सोच ने ज़हन को छू लिया था,
उसकी गहरी नज़र ने दिल में घर कर लिया था,
बड़े होकर भी उसके साथ बचपन जैसा मज़ा किया था,
फ़िक्र भी बेफ़िक्री के साथ संतुलन में दिखा था,
मुस्कुराते हुए जब उसने मेरा नाम लिया था -
उसी लम्हे में अपनी पहली मोहब्बत का-
मैंने एहसास किया था ॥

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5 APR AT 16:54

You can’t complete your life lessons from someone else’s book.

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28 MAR AT 15:27

अगर मेरी याद आए,
मंद मंद मुस्कुरा लेना,
नज़रों में नमी होने ना देना,
अच्छी याद बना कर रखना,
दिल में मेरे लिए कोई गिला ना रखना॥
अगर मेरी याद आए,
बीते लम्हों की बातों में खोए मत रहना,
मुझे अपने पास महसूस कर-
हक़ीक़त में फिर लौट आना
अकेले ख़ुद को देख -
मेरे जाने का गिला ना करना।
अगर मेरी याद आए, बस मंद मंद मुस्कुरा लेना॥

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22 MAR AT 18:05

तआरुफ़ से तआलुक़ तक का सफ़र,
पलक झपकते ही हो गया था,
जब उसने मुस्कुराते हुए मेरी हर पसंद को
अपना बना बताया था ॥

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19 MAR AT 16:44

ख़ुद का सबसे बड़ा सहारा बन के,
ख़ुद को थोड़ा प्यार ज़्यादा कर के,
मैंने कुछ यूँ खुल के जीना सीखा है।
छोटी छोटी नेमतों का शुक्रिया अदा कर के,
दूसरों की उम्मीदों को किनारा कर के,
मैंने कुछ यूँ खुल के जीना सीखा है।
सादगी से ज़िंदगी को ख़ूबसूरत कर के,
मन को ख़ूबसीरत कर के,
मैंने कुछ यूँ खुल के जीना सीखा है॥

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8 MAR AT 22:02

कोई झुका कर भी खुश नहीं होता-
तो कोई ख़ुशी से झुक जाता है,
सब अना का खेल है-
वरना रिश्ते निभाना मुश्किल नहीं होता॥

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4 MAR AT 8:49

कोई झुका कर भी खुश नहीं होता-
तो कोई ख़ुशी से झुक जाता है,
सब अना का खेल है-
वरना रिश्ते निभाना मुश्किल नहीं होता॥

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16 FEB AT 17:43

जो मन में है छुपी,
चाहे अच्छी है या बुरी,
आज एक दूसरे से साँझा कर ले,
किसी और की नहीं, आज मेरी तुम्हारी बात कर ले।
साथ बैठ पता ना चले वक़्त का गुज़रना,
ऐसा कोई क़िस्सा चुनना,
कुछ तुम अपनी कहानी कहना, कुछ मेरी सुनना,
किसी और की नहीं, आज मेरी तुम्हारी बात कर ले।
आपस की उलझने कम कर ले,
रिश्ते को मज़बूत थोड़ा और कर ले,
साथ निभाने का वादा आज फिर कर ले,
किसी और की नहीं , आज सिर्फ़ मेरी तुम्हारी बात कर ले॥

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5 FEB AT 23:14

सोच में लम्हे गुज़र जाते है बिना किसी हिसाब से ,
रात दिन एक से लगते है बिना किसी बात से ,
अजब सफ़र है चलते भी नहीं - और थक जाते है ,
फिर बैठे रहते है आराम के मिज़ाज से ॥

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