Sukriti Rai   (Sukriti (अnokhi))
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Dosti,yaariyaan or manmarziyaan (Zindagi ko jine Ka tarika )
Joined 9 September 2018


Dosti,yaariyaan or manmarziyaan (Zindagi ko jine Ka tarika )
Joined 9 September 2018
28 NOV 2022 AT 10:44

वो कहता है अब कहने को कुछ नहीं है,
मन में है कई शब्दों के जंजाल,
मगर होठों से अब कहना कुछ नहीं है,
क्यों चंद दिनों में इतना कुछ बदल गया है,
हमारे बीच कुछ नहीं बदलेगा यही कहा था उसने,
अब ऐसा क्या हो गया कि कुछ बोलने को नहीं है,
आँखें हों नम और कुछ बताने को नहीं है,
देखो अब अपना खयाल रखना तुम,
हर वक्त लापरवाही अब नहीं बरतना तुम,
तुम्हारे कदम ऊंचाई की ओर बढ़ेंगे तो मान मेरा बढ़ेगा,
बस इस बात को याद रखना तुम,
विदाई हुई है मेरी एक घर से दूसरे घर,
मगर प्रेम की कभी विदाई नहीं होती,
और सुनो हर अधूरी कहानी अगर पूरी हो
जाए तो वो प्रेम कहानी नहीं होती।

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24 NOV 2022 AT 9:48

We give promise of never ending and unintentionally we hurt them without even letting ourselves know that we have done a sin which can never be erased by any kind of eraser.
So, stop proving yourselves that you are what you were and will always be the same perhaps the structure may change but the words of feelings remains forever.

"Forever yours but can't express in words because emotions speaks louder then words of jungle"

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22 NOV 2022 AT 21:25

कुछ यादें अभी बाकी हैं,
मुरझाए हुए गुलाबों में अभी खिलते सपने बाकी हैं,
समय लगेगा मगर वो गुलाब मिलेगा ज़रूर,
और भूल मत ऐ खैरख्वा मेरे,
सुबह के किरण की अगवाई करने के लिए नए गुलाब की कली की ललक अभी बाकी है।

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19 NOV 2022 AT 16:42

चल रहा हूं ज़िन्दगी का हाथ पकड़कर,
सब का साथ छूट गया समय का साथ पकड़कर,
कोई साथ नहीं मेरे मैं तो अकेला ही सफ़र करता रहा,
जीवन की शुरुआत से ज़िन्दगी की सफ़र तक,
दुःख सहा,पीड़ा सहे,सहे मैंने ना जाने कितने सितम,
ना दोस्त रहा,ना कोई साथी रहा नाही कोई हमदम,
मतलबी है दुनिया ये मेरा खयाल था,
अरे खयाल क्या कहूं यारों,ये तो यकीनन जवाब था,
लिया सब ने मुझसे किसी ने कुछ दिया नहीं,
मांगा सबने मुझसे मगर कोई कुछ किया नहीं,
मैं क्या मुसाफ़िर कहूं खुद को ऐ यारों,
जिस सफ़र पर निकलना चाहता था वो सड़क ही मेरा नहीं,
मगर एक उम्मीद कि कोई ऐसा आयेगा,
मुरझाए बाग में अपने प्यार का फूल खिलाएगा,
महका देगा मेरे मन का बगीचा अपने बदन की खुशबू से,
संगीत कोई मधुर सा कानों में शहद सा छेड़ देगा,
वो आया भी वो ठहरा भी उसका प्यार मिला,
और वो बसा भी,
बस जिंदगी से जितने शिकवे थे मैं अब वापिस लेता हूं,
जिसको दे सकता हूं भरसम उतना देता हूं,
अब जिंदगी मुझे मेरी गुलज़ार लगती है,
आदमी हूं अकेला मगर प्यार से खुद को और भी सवार लेता हूं।
Happy international men's day 🙂

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18 NOV 2022 AT 18:13

वो पूछता है मुझसे की प्यार किसी एक से क्यों होता है,
जिंदगी की राह में मिलता मुसाफ़िर बहुत है,
मगर खास दिल को भाता बस केवल एक है,
क्यों ऐसा होता है ज़रा बताना अनोखी..?
प्यार आख़िर सिर्फ़ एक से ही क्यों होता है?

जवाब:
ख़ास है दिल से दिल का जुड़ाव ऐसा,
प्यार होता है सिर्फ़ एक से है,
क्योंकि दिल एक ही होता है ऐसा,
जिसमें दर्द उठता है तो दिखाई उसके चेहरे में देता है,
आंसू बह निकले तो उन्हें पोंछ दूं ये खयाल मन को सुकून देता है,
खुशी के ज़रिए बहुत हैं लेकिन उसकी एक झलक बस सदियों की तड़प पर सावन की बौछार देता है,
प्यार अगर जिस्म तक होता तो उसे मेरा सिर्फ़ तन दिखता,
तन,मन,और आत्मा से जो हुआ बस वही प्यार होता है,
सब कुछ है मेरे पास मगर प्यार नहीं एहसास नहीं,असर नहीं दर्द नहीं तो तुम्हारे पास बस एक पाषाण ह्रदय होता है,
हां प्यार केवल एक से इसीलिए होता है क्योंकि
वो ना बंदिश को मानता है,ना रोक को जानता है,
ना शिकवे कभी किसी से,ना फ़रियाद अपने प्यार से,
बस समर्पण पूरी तरह और बस वही
ज़िन्दगी को जीवन सहस्र बार देता है।

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15 NOV 2022 AT 8:45

Life ki har ek journey aapko kuch na kuch sikhata hai kuch purane raaston ko mudkar dikhata hai toh kuch naye raaste ki shuruaat ka aagaz dilata hai,
Kuch nayi soch banata hai,
Toh kuch purane raaston ki sadak majbut kar deta hai,toh kuch raaston ki ehmiyat itni badha jata hai ki jinke bagair jinke saath ke bagair aap apni aage ki journey kar hi nahi sakte,toh agar aage badh raha hai koi toh woh apni raahe badal sakta hai,magar manzil nahi jo ek na ek din milti zarur hai,haa der lagti hai magar milti zarur hai.
So,just have patience and wait for that destination to meet you.

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12 NOV 2022 AT 19:04

हम अकेले नहीं हैं जनाब,
हमारी मोहब्ब्त का साया हमारे साथ हमेशा रहता है।

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10 NOV 2022 AT 15:05

सफ़र तो शुरू हो चुका है अब देखना है
कि कहां तक पहुंचते हैं,
अंतिम छोर पर जा कर लौटकर आते हैं
या बीच डगर में ही ठहर जाते हैं!

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10 NOV 2022 AT 13:39

सफ़र शुरू भी होता है और ख़त्म भी,
मंज़िल तक मुसाफ़िर पहुंचता भी है और ठहरता भी,
मगर कोई राही किसी भी स्थान पर ज़्यादा देर नहीं रुकता,
फिर चाहे उसका घर हो या कोई और शहर ही।

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9 NOV 2022 AT 18:49

हर रेल की पटरी मंज़िल तक नहीं पहुंचाती,
कुछ बीच स्टेशनों पर भी उतार जाया करती हैं।

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