रूप है अभिमान मेरा ,संस्कार हि श्रृंगार मेरा । -
रूप है अभिमान मेरा ,संस्कार हि श्रृंगार मेरा ।
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मेरे केशों की इस माया को , कम न समझो!बड़े बड़े सूरमा, उलझने को बेताब हैं -
मेरे केशों की इस माया को , कम न समझो!बड़े बड़े सूरमा, उलझने को बेताब हैं