खुद से ही नाराज़ हूं....
और बस नाराज़ ही रहना चाहती हूं...
नहीं खोजू रास्ते ना ही मंज़िल की तलाश करूं
खुद को खुद में रहने दू खुद की तलाश करूं.....
मानो कहीं गुम थी इस झूठी महफिल में
अब खुद से खुद की नाराजगी में मिलना चाहती हूं.....!!!!
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चाहत है किसकी तुझे
तू खुद में पूर्ण हैं
एहसास करो अपनी काबिलियत को
तू खुद में काबिल हैं
उम्मीद है किसके तुझे
तू खुद में सम्पूर्ण है
महसूस कर अपनी ताकत को
तू खुद में वीर हैं
तू खुद में वीर हैं-
अपनी छोटी छोटी परेशानिया बताऊं तो किसी बताऊं
ऐसे तो हर वक़्त मुस्कुराती हूं ओरो को ज़िंदगी की सीख देती हूं.....
पर जब ज़िन्दगी मुझे सीख दे तो किसे बताऊं
पता नहीं ज़िन्दगी इतनी उलझने क्यों देती हैं
कभी रास्ता दिखा देती हैं तो कभी भटका देती हैं
कभी मंजिल पास होती दिखती है तो कभी दूर
सपना भी दिखती हैं उड़ना भी सिखाती हैं
पर पता नहीं क्यों डराती भी हैं...
परिवार का आशीर्वाद देती हैं दोस्तो का साथ भी
पर पता नहीं क्यों घबराहट भी देती हैं
ये ज़िन्दगी तू इतनी उलझने क्यों देती हैं....!!!-
सीख रही हूं.....
सीख रही हूं अपनी उदासी को छुपाना
और हस्ता हुआ चेहरा दिखना
सीख रही हूं नम आंखों को छुपाना
और हर वक़्त मुस्कुराना
सीख रही हूं चुप रहना
और बाते को ना बताना
सीख रही हूं अपने बचपने को भूलना
और जो समझ ना आए उसे भी समझने की कोशिश करना.....
सीख रही हूं अपनी तकलीफों को ना दिखना
और अपनी खुशियों को जाहिर करना
शायद ये सब सीखना आवश्यक है
क्यों की अगर मै ना सीखू तो ये जीवन सीखा ही देती हैं
सीख रही हूं अपनी उलझनों को सुलझाना
सीख रही हूं अपने में जीना
सीख रही हूं....!!!-
ऐ ज़िन्दगी निराश ना कर .....
बस एक मौके की तलाश हैं
हतास ना कर....!!
विश्वास है कि अंधरे के बाद है उजाला
इस विश्वास को तू बेकार ना कर
ऐ ज़िन्दगी निराश ना कर
विश्वास है उस उपरवाले पर
जिसने दी ये ज़िन्दगी
इस विश्वास को तू निरार्थक ना कर
ऐ ज़िन्दगी निराश ना कर...!!-
Life is an alternate...
The thing is how we use all these alternates
Each and every moments we pass through is an alternate
These alternates are like an opportunity
Give u a new lesson of life and provide u a better path
May this path be your best path
And u stop regreating nd stop thinking about past
Start working on your present becoZ
No one can decide their future-
खेल भी क्या चीज़ है....!!
बचपन में हम खेला करते थे
पर अब ये हमसे खेलती है.....
यहां तो खेल के मायने ही बदल गए हैं
कंहा वो बचपन कहां वो खेल....!!
अब तात्पर्य स्पष्ट करने की क्या आवश्यकता
यहां तो वास्तविकता ही बदल गई हैं
शेष कुछ भी नहीं .......
परंतु एक बात कहना चाहूंगी
खेल कैसे भी हो कुछ ना कुछ जरूर सिखाता है
बस सीखना हैं और कुछ शेष रखने की कोशिश करनी है....
बाकी वास्तविकता की पहचान तो एक दिन अवश्य होगी
शायद तात्पर्य भी एक दिन स्पष्ट हो जाए...!!-
अपनी ही किस्मत से क्या लड़ना
जो होना हैं वो हो कर रहेगा
बस कर्म अच्छे होने चाहिए
किस्मत का क्या हैं
आज आपकी कल किसी और की
बस विचार सच्चे होने चाहिए
वाणी मीठी होनी चाहिए
मुश्किलें तो बहुत हैं
बस सामना करने का हौसला होना चाहिए.......-
पता नहीं लोग इतने स्वार्थी कैसे हो जाते हैं
कमजोर को देख कर अपने को बलवान समझते हैं
किसको शांत देख खुद की आवाज को बलवान समझते हैं
पता नही लोग इतने स्वार्थी कैसे हो जाते हैं
अपने स्वार्थ में इस तरह डूब जाते हैं कि दूसरे के आंसू दिखाई नहीं देते हैं
क्यों क्यों ऐसा क्यों होता है
पता नहीं लोग इतने स्वार्थी कैसे हो जाते है
मुझे नहीं पता दुनिया की रीत और इसकी स्वार्थ भारी प्रीत
क्या है भीतर क्या हैं बाहर किसीको खराब नहीं
बस अपने स्वार्थ में सब भूले बैठे हैं
पता नहीं लोग इतने स्वार्थी कैसे हो जाते हैं
हर मोड़ पे नए नए चहरे बनाते हैं
हर मोड़ पर नए नए चहरे बनाते हैं
पता नहीं कब किस मोड़ पे दानव और कब किस मोड़ पे देवता बन जाए
इतनी अकल तो नहीं है मुझमें की इस दवान और देवता को समझ पाऊ
बस दिल मासूम है जो किसको बुरा नहीं कहता और ना बुरा समझता है
बस और कुछ नहीं एक ही प्राथना है उस ऊपर वाले से की इस स्वार्थ भारी दुनिया को समझने के लिए थोड़ी सी अकल दे दे और थोड़ा साहस ताकि मेरे कदम कभी ना डगमगाए
कदम कभी ना डगमगाए
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ज़िन्दगी में ठहराव जरूरी है
जिदंगी जीने के लिए
अपने आप को समझने के लिए
समुद्र की लहरों का मज़ा तो सब लेते हैं
अकेले में शांत जल का मज़ा ले कर तो देखो
जो सुकून उस ठहराव में हैं
वो लहरों में कहां
थोड़ा रुको सोचो फिर कदम बड़ाओ
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