इग्यारहवी का क्लास था मास्टर जी भौतिक विज्ञान पढा रहे रहे थे इस विषय में मन नहीं लग रहा था तभी एक कर्णप्रिय आवाज आई एक्सक्यूज मी सर जिसने मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया फिर पता नही कब मुझ जैसा आवेशित कण उनके चुम्बकीय क्षेत्र में फँसकर चूड़ी अंतराल की तरह चक्कर काटने लगा ।
फिर मैं उनके पीछे बैठने लगा ताकि उनकी कॉपियों में झांककर देख सकू कि कही मेरा नाम तो नही लिख और मिटा रही है ना.. हालांकि क्लास तो भौतिक विज्ञान का था लेकिन उनकी हँसी ने प्रेम कि रसायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक का काम कर दिया इस प्रेमाभिक्रिया की दर बढ़ गई और बस बढ़ती गई!
एक दिन उन्होंने कहा की I don't know how to say this to you, but can you feel, I am sitting here, watching the moon in the sky and there you are, so far from me and yet watching the same moon. We share the same sky and the same moon." उस समय समझ नही आया था लेकिन सुनकर हम खुश थे।
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