सुजीत कुमार घिदौडे  
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Joined 23 July 2020


Joined 23 July 2020

भीड़ में होकर खड़ा मैं,
जब मंच पर रहता हूँ !
हज़ारों के भीड़ में भी मैं,
तब खुद को तन्हा पाता हूँ !

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जीवन की पगडंडियों में आसान नही है राह
जितना दिखता है उससे कहीं ज्यादा होती है कठिन !

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इस आईने से आखिर कब तक छुपाओगे ?
ये गमगीन निगाहें ये उदासीन चेहरा !!

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जब-जब राजनीति धर्म के साथ विलय होती है
तब-तब नफ़रत और कट्टरपंथी उपजे जाते है !

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~किसान और कायर सरकार~

तेरे चले आने की ख़ौफ़ से
सील हो जाए दिल्ली की सरहदें

तेरे एक हुंकार से
घबराह जाती है सरकारें

जब चले तू
साफ़ा पगड़ी बांधकर
हिल जाती है सिंहासन राजनीति की

वो डरकर कदम रोकने को तेरे
आजमाते है पैंतरे हज़ार

पर एक भी काम न आये
जब सामने हो फ़ौलादी किसानों की फौज हजार

तुम देश के अन्नदाता हो
तुम ही इस सृष्टि के असली पालनहार

तुम करदो देश की सारी सरहदें बन्द
तोड़कर हम लांघ जाएंगे तेरी बनायी हर दीवार।

निभा न पाओ वो वादा मत कर
हो रही है फिर से देश के कोने कोने में शोर

लो आज हम किसान भी कहते है कि
चौकीदार ही है असली चोर असली चोर...

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~....माँ....~

मैं आज क्या लिखूँ माँ तुम पर
हर शब्द बौने पड़ गए
शब्दकोष में कोई ऐसा शब्द मिला ही नही
माँ आपके जन्मदिन पर लिखने को कुछ मिला नहीं
मेरी कलम बड़ी लहराकर चल रही थी
जब बारी आयी माँ पर कुछ लिखने का तो
कलम भी कागज में माँ लिखकर रुक गई
मेरी माँ प्यारी माँ दुनियां की सबसे निराली माँ
तेरी ममता के आंचल में मेरे सारे गम छुप जाते है माँ
हैप्पी बिर्थडे टू यू माँ...

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★कलम बनी मेरी पतवार★

कलम कवि का है हथियार,
इसका है सब पर अधिकार।
जीवन के इस महासागर में,
कलम बनी मेरी पतवार।।
अटल इरादों वाली है ये,
इसकी चाल तूफानी है।
इसमें स्याही के बदले मेरी ,
आंखों वाला पानी है।।
कलम का सौदा कर न सकूँगा,
मैं खुद से धोखा कर न सकूँगा।
इसके सहारे जीता हूँ मैं,
इससे धोखा कर न सकूंगा॥
ये मेरी पहचान है,
मेरे गौरव की ये निशानी है।
इसमें स्याही के बदले मेरी ,
आंखों वाला पानी है।।

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विरोधियों का काम है विरोध करना,
और हमारा काम है
विकास पथ पर चलते रहना !

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जो भारत के निर्माण में सदा खड़ा है
वही तो राम है।
जो सबके न्याय की कामना करता है
वही तो राम है ।
जो बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की
कामना करता है वही तो राम है।
जो जग कल्याण की चाहत रखता है
वही तो राम है।
जो शुद्ध है श्वेत है जो प्रकाश है
वही तो राम है।
जो सबके लिए जीता है सबके लिए मरता है
वही तो राम है।
जो साहसी है कर्तव्य पालक है
जो जीवन पथ पर सतत् अग्रसर है
वही तो राम है।
जो अभिराम अमर्त्य है जो अजेय है
वही तो राम है।
जो करुणा निधन है कण कण में विद्यमान है
वही तो राम है।
जिसमे जीवन है खुशी है तरक्की विकास है
वही तो राम है।
जिसका बढ़ना चलना हीं नियति है
वही तो राम है।
जो सदा विकसित है विशाल है
वही तो राम है।
जहां धर्म है न्याय है शांति और सम्मान है
वही तो राम है।
जहां सबकुछ है वहां भी राम हैं
जहां कुछ भी नही वहां भी राम हैं
जो आदि में भी जो है अनंत में भी
वही तो राम है।
जो सबके लिए समान है
जो सबमें सम्माहित है विद्यमान है
वही तो राम है वही तो महान है

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यहां की धूल भी चंदन यहां कण-कण में ईश्वर है
हो कलियुग सारी सृष्टि में यहां त्रेता निरंतर है
यहीं खेले थे रघुराई , कभी सरयु के घाटों पर
"अयोध्या" नाम है इसका ये मेरे "राम" का घर है।

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