★कलम बनी मेरी पतवार★
कलम कवि का है हथियार,
इसका है सब पर अधिकार।
जीवन के इस महासागर में,
कलम बनी मेरी पतवार।।
अटल इरादों वाली है ये,
इसकी चाल तूफानी है।
इसमें स्याही के बदले मेरी ,
आंखों वाला पानी है।।
कलम का सौदा कर न सकूँगा,
मैं खुद से धोखा कर न सकूँगा।
इसके सहारे जीता हूँ मैं,
इससे धोखा कर न सकूंगा॥
ये मेरी पहचान है,
मेरे गौरव की ये निशानी है।
इसमें स्याही के बदले मेरी ,
आंखों वाला पानी है।।
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