Sujeet Sarkar  
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Joined 6 June 2020


Joined 6 June 2020
27 DEC 2021 AT 22:05

माना कि,
मैं ग़लत था।
तुमने भी तो प्यार में तरफ़-दारी नही की।।

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26 DEC 2021 AT 21:47

हम आज भी तुम्हारे हैं।
अपने तो साथ होकर भी खै़रियत भूल जाते हैं।

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22 SEP 2021 AT 12:52

तुमने सिर्फ़ आंखो को देखा है।
मेरी आंखो में नहीं......!

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2 JUL 2021 AT 21:38

"हालात ऐसे हों ग‌ए की
अपने जिस्म का भी ख्याल ना रहा।।"

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6 FEB 2021 AT 21:56

"बदनाम तो बहुत हुए इस दुनिया में।
BUT वहां हुए जहां बेगुनाह थें।।

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3 NOV 2020 AT 23:04

जिन्होंने कतरा भर भी साथ दिया हमारा।
वादा हैं वक्त आने पर उन्हें दरिया लौटा देंगे..!

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25 OCT 2020 AT 19:26

उदास क्यों होते हो जिंदगी में !

तुम्हें चॉंद नहीं मिला तो क्या हुआ।
‌ "सितारे" तो तुम फिर भी हो!

- HAPPY RAJ

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2 OCT 2020 AT 2:08

"एक मां की पुकार
कब जागोगे,अब तो बोलों
कितनी दामिनी, कितनी निर्भया,कब तक दम घुंट के मरेगी बिटिया?
अंतिम पल भी ना देख सके अपनी बिटिया को।
थक गयी है हमारी रूह जवाब देते देते प्रशासन और मिडिया को।।
कब तक धरना, मोमबत्ती यूं ही हाथों में जलेंगी।
भीष्म जैसी खामोश सरकार कब तक रहेंगी।।
धर्मद्वार बनाकर क्या करोगे,जब आंगन की सीता सुरक्षित ही नहीं।
शासन-प्रशासन तुम्हारी हमरी सुनें ना कोई,
मन विचलित क्रोध कुंठित हमारी रक्षित हीं नहीं।।
कब जागोगे...!
अधर पड़ीं हैं जिंदगी कब तक देखकर सहेंगे।
अपनी प्यारी को कब तक हाथों तलें रखेंगे।।
क्यों विरान पड़ीं हैं दुनियां खामोशी के मरु-बंजर से।
फूलों सी बेटी को बचा लो "सरकार"इस हैवानियत के मंजर से।।
आखिर कब...?

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19 SEP 2020 AT 21:49

मैं दीया हूं, मेरी दुश्मनी अंधेरों से है।
हवाएं तों ख़ामोखा मेरे खिलाफ है।२।
हवाओं से कह दो ख़ुद को आजमां के दिखाएं।
दीए बहुत बुझाएं है,एक दीए जला के दिखाएं।।

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15 SEP 2020 AT 15:58

" एक द़फा..."
एक द़फा मुस्कुरा के चली जाती,
दिल में तेरे लिए कोई ग़म भी ना होता।
याद है...!
तुमने रूह की नुमाइश की थी,
मेरे दिल से अगर इश्क़ का फरमान ना होता।
उस दिन कोई बंधन ना होता,
प्यार का कोई निशां भी ना होता।
तेरे यादों के ताजमहल बनाकर
दिल की सरजमीं पर तेरा ही नमन होता।
एक द़फा मुस्कुरा के....
शुक्र हे।
जिंदगी तुम्हारी फूलों की सेज हों गई,
हमारी तों कांटों का किताब हों गया।
जिंदादिल थे मेरे अरमान,
अब तों बेहिसाब हों गया।
एक द़फा मुस्कुरा कर चली जाती,
दिल में तेरे लिए कोई ग़म भी ना होता।।




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