वीणा की तान सुन
नृत्य कर रही नदी की धारा ,
सूर्यास्त के रंग रहें हैं चुन
सृष्टि का अमिट क्रम है सारा ।।
-
मेरी बातों को सिरहाने पर रखकर सोना ,
जब भी नींद ना आए
इनकी चाशनी चखकर सोना ,
ये बातें मेरी गुनगुनाएंगी
मीठी सी नींद लाएंगी,
मीठे मीठे सपने आएंगे ,
सारी कड़वाहट खुद पी जाएंगे ,
मेरी बातों को सिरहाने पर रखकर सोना ,
जब भी नींद ना आए
इनकी चाशनी चखकर सोना ।-
कुछ मीठे मीठे गीत सुनादो ,
वो लय वो ताल बतलादो ,
कुछ फीकी फीकी हैं हवाएं ,
वो सूखी मिट्टी में गिरी हुई बूंद लादो ,
कुछ मीठे मीठे गीत सुनादो !-
जो समझ लिए बोल तुम्हारे ,
मेरे इस कभी उथले कभी गहरे मन ने
उन्हे वैसा ही रहने दो ,
क्या हुआ यदि हो गए हैं मौन अब ,
उन मौन भावों को फिर मौन रहने दो ।
जो समझ लिए बोल तुम्हारे
उन्हे इन्द्रधनुष के रंगों में बहने दो ।
-
वीणा की तान सुन
नृत्य कर रही नदी की धारा ,
सूर्यास्त के रंग रहें हैं चुन
सृष्टि का अमिट क्रम है सारा ।।
-
शब्दों का बहाव
कभी कभी ठहराव लिए होता है ,
अपने तट पर
मौन की छांव लिए होता है ।-
तुम आंखों के भाव ना
जाने कैसे जान गए ,
प्रश्न किया नहीं कोई ,
संग चलने के लिए यूंही मान गए ।
-
बस इस कोहरे में खुद का प्रतिबिंब खोज रही हूं ,
धुंधले मार्ग पर बनी अप्रत्यक्ष छाया सोच रही हूं ,
शीत हवाओं में व्याप्त है गर्म हवाओं का हृदय
बस यही शब्द जो शुष्क हैं लेकिन मीठे से बोल रही हूं ।
-