साथ की चाह नहीं थी बस, रग रग में तुम्हें समाना था...
एक दिन मुझे तुम सा, फिर तुम्हें मुझ जैसा हो जाना था...— % &-
I would rather sink into oblivion
Than to walk parallel with you
Walking together, But meeting never...— % &-
मन मृगतृष्णा का मारा
मन सत्य को ना पहचाने
मन भटके दर दर, सुख खोजे
अंतर्मन मर्म ना जाने
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सुनो,
कल रात तुम्हारी नींद जब,
मीठे ख्वाबों से ऊंघ रही थी
तुम्हारे खयाल मेरे सिरहाने
रात भर करवटें पलट रहे थे-
जिनके लिए था मैं नाकामी का किस्सा
आज लेते हैं मिसाल वो मेरी कहानी से-
जब मौन थी मैं, तब थी कुलीन,
थी शिष्ट, सदगुणी और प्रवीण
जब से बनी हूं प्रश्न मैं
हो गई उद्दंड और चरित्रहीन?
कब तक ये होंठ चुपचाप रहें
रूढ़ियों के बंधन में बंधकर
अंतर्मन भी घुटता सा रहे
कर्तव्यों कि सुली चढ़कर
अब आज स्वर कुछ हैं मुखरित
अधिकारों के प्रश्न उठाने दो
दल बल लेकर आतुर ना बढ़ो
मेरी आवाज़ दबाने को
क्यूं सीधे से "क्यों" को मेरे
अपनी अवमानना जान रहे
मेरी इस न्याय की मांग पे मुझको
विद्रोही सा मान रहे
विद्रोह नहीं, विनती समझो
मानव कल्याण कराने को
तुम दे सकते कुछ मुझे नहीं
बस मेरा मुझको पाने दो-
जलन बहुत है आग के भीतर
पलभर में संसार जलाए
पर ईर्ष्या की जलन के आगे
आग भी अपना शीश झुकाए-
जीवन क्या है...
काल हस्त से
बहता हुआ रेत का झरना
हर पल सांस के साथ में जिसका
कण कण शून्य में फिसल रहा है-
In this changing world
I am changing too
Faster than any
Chameleon can ever do
I shed some of my old self
With new day I am new
Someday changes lose count
Someday there are very few
Do not be so surprised
If you can't find one you knew
You'll never meet my stale self
No matter how much you want to-
Try to taste your words sometime,
I am sure you won't like the flavour-