सुगम   (सुगम)
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Joined 15 June 2021


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31 JAN 2022 AT 12:46

हमें ग़ुरबत मिली विरासत में
बाक़ी सब पिस गया सियासत में!— % &

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31 JAN 2022 AT 11:47

ना नकदी मिली ना उधार मिला
ना बीवी मिली ना प्यार मिला
आजकल युवाओं के क्या कहिए
ना नौकरी मिली ना रोजगार मिला!— % &

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31 JAN 2022 AT 11:27

सड़कें अब सरकार की तिजोरी हो गईं
कुछ जैसे तैसे बनीं, कुछ चोरी हो गईं!— % &

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28 JAN 2022 AT 10:32

सरल लिखना बड़ा कठिन है।— % &

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26 JAN 2022 AT 14:51

आज़ाद हूँ... पर बंदिशें बोता रहा हूँ मैं ।
दुनियादारी की सलाखों में रोता रहा हूँ मैं।।— % &

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26 JAN 2022 AT 13:14

सबकी खुशहाली जब होगा यहाँ विकास का मंत्र।
तब हर जन मन तक पहुंचेगा भारत का गणतंत्र ।।

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26 JAN 2022 AT 13:10

सत्ता-सुख की हवस बढ़ी है धन-बल बना है मंत्र।
संवेदन के शून्य ताप से ठिठुर रहा 🇮🇳 गणतंत्र ।।

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24 JAN 2022 AT 19:50

गर्भ में ना मारो
बेटी नहीं मिलेगी!
बीवी नहीं मिलेगी
रोटी नहीं मिलेगी!!

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24 JAN 2022 AT 13:50

चाय-बिस्कुट तो एक बहाना है।
ज़ायक़ा दोस्ती का पाना है।।

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24 JAN 2022 AT 13:47

मखमली धूप मिले, घनेरी छांव और बहार मिले।
उनकी क़िस्मत खिले जिनको पिता का प्यार मिले।।

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