sudhir todwal   (Nikhil)
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Joined 4 November 2018


Joined 4 November 2018
6 AUG AT 16:22

शय मुकम्मल होती है माहौल माकूल होने से
गोया एक पैर का जूता भी दूसरे में नहीं आता

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4 AUG AT 20:09

कोई पूछे तो बस रो देता हूँ
कितना आसाँ है ग़म-ए-दिल छुपाना

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28 JUL AT 19:13

मेरे सिवा कोई और क़त्ल ना करेगा रक़ीब का
मेरे माशूक़ को किसी बात की तो तसल्ली है

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15 JUL AT 20:00

इंतज़ार करूँगा तेरा जाना आख़िरी सलाम आने तक
कच्चे अमरूदों के मौसम से पके आम आने तक

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7 JUN AT 20:40

जो भी उलझन में हो हमारे वास्ते को लेकर
मेरे लबों के आबले तेरी ज़बाँ पे देख ले

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2 JUN AT 20:23

सुरूर होगा क्या ही भला उस मय का
गिलास की चटक पे भी जो ना टिके

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27 MAY AT 20:19

कलम से उसे सरापा बना तो दूँ मगर
मेरी मजबूरी मेरे शायर होने पे हायल है

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15 MAY AT 22:51

पानी देता रहा मैं दीवार में दरार आने तक
शॉल ओढ़े रखी मैंने उसके बुखार आने तक

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16 APR AT 19:41

तेरे दिल से बेदख़ल जब मैं हुआ
अपनी ज़ात का पता मालूम हुआ

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8 MAR AT 19:49

यार सुनने आयेंगे दास्तान-ए-वस्ल उस रात की
सो शब के चाल मलबूसों को जल्दी जल्दी सिया करो

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