न आये तो अच्छा है
वो हमारे ख़याल में ना आयें तो अच्छा है
हम उनके दीदार में न आयें तो अच्छा है ।
ज़िरह - सी हो जाती खुद से
उनकी सादगी को देख
वो काले लिबास में ना आएं तो अच्छा है
बड़े मशहूर हो रहे हैं वो शहर में हमारे
ये बातें अखबार में न आये तो अच्छा है ।-
Two liner
Instagram ID- sharmasudhir728
सावन के तू आने वाला है
मेरे मेहबूब का संदेसा लाने वाला है।
हवाओं से सुना हैे उसके शहर में तू रोज बरसता है
उनकी एक प्यारी सी झलक को मेरा मन तरसता है।
हालांकि वो मेरे पास नही
जल्दी मिलन की कोई आस नही
जब भी मिलना उनसे ये मेरा पैगाम देना।
जब भी छूना उनके बदन को ऐ- बारिश
अपनी बूँदों में बस मेरा नाम देना।
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था बिताया जहाँ बचपन का हसीन लम्हा
हुई शुरुआत जिंदगी की जहाँ
है वज़ूद जहाँ की मीट्टी से मेरा
जहाँ तोड़े बाग़ीचे से जामुन और आम
हुई जहाँ से दोस्ती का आगाज़
बेबाक हो के खेला दिनभर जिन के साथ
भरी दोपहरी में निकल जाता था जिनके साथ
सुबह को लड़ते शाम को मिल जाया करते
बारिश में हम सब एक साथ नहाया करते
जहाँ गौरैया अपनी आवाज़ से मुझको जगाया
जिस जगह ने मुझको मुझसे मिलाया
जहाँ तैराई बारिश में कागज़ की नाव
याद आती है जहाँ पीपल की ठंडी छाँव
हाँ ..वो ही तो है मेरा प्यारा-सा गाँव।
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जिंदगी तुझसे कुछ बात करनी है
एक दो नही कई हज़ार करनी है
अधर में लटकी थी जो उस रात की महफ़िल
उनको फिर से गुलज़ार करनी है
आने ना देना फिर से वो बीता हुआ कल
मुझे अब जिन्दगी की नयी शुरुआत करनी है
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ये कैसा एक तरफ़ा प्यार हैं।
जिसमे ना कोई इज़हार है।
समंदर से भरे है जज़्बात तुम्हे समझाने को
एक कसक सी रह जाती है तुम्हे बताने को।
बयाँ अगर कर भी दूँ उनको हाल- ऐ -दिल की बात,
ऐ खुदा-तू ही बता क्या थाम लेगा वो मेरा हाथ?
दिल की भोली सूरत से सांवली है वो
मेरी दोस्त है पर जरा-सी बावली है वो।
होगी कब मुकम्मल मोह्हबत मेरी
अब उस लम्हे का इंतजार है
ये कैसा एक तरफ़ा प्यार हैं
जिसमे ना कोई इज़हार है।-
THE REGRET
I was confident to complete it today
But my idleness told me to do it another day.
It was negative to me,
I went to play when the time was to do work
My heart said to wonder
My hope said to try it on another day
My willing is beyond sky
It will lead me so high
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Success के बाद का plan सबके पास है
लेकिन अगर ग़लती से fail हो गए तो
Failure से कैसे डील करना है
कोई बात नही करना चाहता...
Shushant singh राजपूत
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I was bound, In a dull sound
What I saw never before, they were 4
They were change, they were strange
It resemble to me,I bend down to knee,
Pondering what will I do
I was stick like a glue.
I murmured why I came here
I living in truth of fear.
I ask you meaning of life
You answered me- child , man
Good job that's life.
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