किसी इंसान की कीमत कितनी गिरती
हम तुम बता नहीं सकते
क्योंकि अरबपतियों को
इश्क में मुफ्त नीलाम होते देखा है-
मेरे पास दिल था उसके पास दिमाग था
इसीलिए मेरे किरदार को समझ ना सके-
आजकल तू एक ऐसी दवाई हो गई है
गर्मी में तुझे देखूं तो आंखों को ठंडक से मिलती
और सर्दी में तुझे देखूं तो तो तपिश सी लगती
तू कोई दवाई है या जादू
समझ में नहीं आता तुझे क्या नाम दूं
तू ही बता तू पूनम का चांद है
या है जेठ की दोपहरी का जलता सूरज-
कुछ परेशान सी है जिंदगी
कुछ मन मेरा वीरान क्यों है
बेवजह हैरान सा क्यों है
सोचता हूं उन्होंने
मुझे जा ना ही नहीं
फिर भी क्यों खफा हो गए
आप मुझ से बेवजह
यूं जुदा क्यों हो गए ढूंढता हूं
आज भी तुमको बादलों में
उडती आंधियों में
और उड़ते हुए धुएं में
शायद दिख जाए कहीं दूर
आसमान के उस पार
जिंदगी के उस पार
बस तू ही तू ही तू ही तू-
उसकी आंखों से चला
तीर दिल में जो लगा
मेरी वो मेरी जान
मेरी धड़कन में बदल गई
जब जिंदगी से गई तू
दिल तो जोर से धड़का
पर मेरी जान निकल गई
दिल में जो लगी आग
वो आज तक ना बुझी
जिंदगी गुजर गई
याद दर्द में बदल गई
हर रात एक धुआं सा उठा
सोचता हूं मैं जब
मुझ मे जान ना रही
तो मेरी धड़कन क्यों न रुकी
बस और यूही जिंदगी गुजर गई-
यह कैसी मेरी जिंदगी है
जो तुझसे ही शुरू
और तुझ पर ही खत्म
चाहे तूने दी हो खुशियां
और चाहे तूने दिए हो गम
मेरे दिल पर किये लाखों सितम
फिर भी तेरे ही रहे हम
ऐसी गजब सी मेरी जिंदगी है
जिसे तेरे नाम में ही हर खुशी मिली है-
उसे घमंड इस बात का
कि उसे चाहने वाले लाखों हजारों
पर हम खुश इस बात से
कि हम जैसी चाहत किसी की नहीं
उन्होंने चाहा है तुझको
और हमने पूजा है तुझको-
चारों तरफ बिखरी चांदनीयो का क्या करता
मुझे तो पूनम के चांद की चाहत थी
मैं गुलाबो की खुशबू का क्या करता
मुझे तो कमाल के फूल की चाहत थी
मैं बुढ़ापे में किसी की आखरी मोहब्बत क्या करता
मुझे तो बचपन की पहली मोहब्बत की चाहत थी
हम पहली मोहब्बत भूल ही नहीं
तो आखरी मोहब्बत कहां से करते
हमें भूलने वाले हम तुझे कभी भूले ही नहीं
तो याद कैसे करते हैं ?
हम तेरे बिना कभी जिए नहीं
तो तू तेरी यादों के बिना कैसे मारते ?-
कुछ ऐसी मेरी तमन्ना
किसी को पाने की चाहत में
हम अपने आप को भूला बैठे
रोज बातें करते थे जीने की
पर देखो
जो राह जाती थी शमशानों को
उस पर फूल सजा बैठे
अब समझ में आया
पत्थर के सनम से दिल लगा बैठे
चलो वक्त है अभी भी
अपने फर्ज निभा लेंगे
जो जो बिछाए थे फुल
उन्हें उठा अपने सीने से लगा लेंगे
उन्हीं से दिल लगा लेंगे
जो बीत गया वक्त
उसे क्या हम वापस पा लेंगे
यह जीवन जाने वाला
नया जीवन आने वाला
वहीं पर कोई नया संसार बसा लेंगे
अबकी बार कोई नया भगवान बना लेंगे-
मेरा मन करता है बन
परिंदा और नील गगन उड़ जाऊं
घूमू तेरे अंगना और उसमें हो कोई वृक्ष
तो उसे पर थोड़ी देर में ठहर जाऊं
तू जो डाले अपनी अटरिया दाना पानी
मैं इकला चक जाऊ
इसके लिए मैं और परिंदों से भीड़ जाऊं
मेरा मन पागल है इसीलिए तो
मैं परिंदा पगला कह लाऊ-