Sudhir Kumar(MZN)   (Sudhir)
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Joined 23 August 2018


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19 DEC 2023 AT 15:59

हम किसी को चाहे ना चाहे यह हमारे बस में नहीं
वह हमें चाहे ना चाहे उसके बस में जरूर
शायद इस बात उसको इतना गुरूर

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9 DEC 2023 AT 23:16

क्यों क्यों सताते हो हमको
जो अनजाने में लिखी गई थी
यह कहानी क्यों याद दिलाते हो हमको
जब चली हवा
कहानी के पन्ने हवा मे उड़ गऐ
शायद जिस पुस्तक का अंश थे
उससे जुड़ गऐ बेवजह फिर
क्यों याद दिलाते हो हमको
की कोई कहानी लिखी थी तुमने
क्यों यह बताते हो हमको

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8 OCT 2023 AT 23:03

वह सोचते थे होंगे
पता नहीं कहां गया
बहुत बातें करता था मुझे से
शायद कहीं गुजर गया
वह नहीं जानते
वह एक सुखा कुआ था
जो तेरे प्यार से भर गया
शायद इसीलिए
पागल जीते जी मर गया
सोचते होंगे पागल था
पता नहीं किधर गया
उसकी किस्मत
जिधर गया उधर गया
पर वह नहीं जाने
मेरा भी वक्त
उसकी यादों के संग गुजर गया
इसीलिए शायद
उठा ज्वार भाटा समुद्र में
खारा पानी मेरे होठों तक गया
देख खारे पानी संग
मेरा वक्त भी गुजर गया

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2 OCT 2023 AT 20:56

जब भी मेरे पास से हवा गुजरी
ऐसा लगा जो कहीं थी दुर
वह मेरे पास से यही गुजरी

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1 JUL 2023 AT 22:41

जो अधूरी थी सुबह की पूजा
जो जरूरी थी सुबह की पूजा
मेरे होठों पर तेरा नाम आया
और जान वो मेरी इबादत पूरी हो गई

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30 JUN 2023 AT 23:39

देखो रुसवा ना हो तुम

इसीलिए मैंने जी कर गुजारा हर लम्हा

नहीं तो लोग यहां साथ छूटने पर जीना छोड़ देते

जीवन लगता है उन्हें बेवजह और खमखा हर लम्हा

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21 MAR 2023 AT 22:39

मोहब्बत मैंने नहीं
तुझसे मेरे दिल ने की थी
इसीलिए मैंने तो भुला दिया तुझे
और तुम मेरे दिल में अब भी बसी थी

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14 MAR 2023 AT 0:12

क्या सजा दूं मैं अपने आपको
जो गुनाह ए कत्ल
तेरी यादों का किया है मैंने
वो माफी के काबिल तो नहीं

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5 MAR 2023 AT 22:49

मैंने तन्हाई में वक्त की टिक टिक से बातें की है
मैंने बादलों में बनती तेरी तस्वीरों से बातें की है
मैंने अपने हाथों की लकीरों से तेरे बारे में बातें की है
तुझसे मिलकर तेरे दीदार की क्या खाक तमन्ना होगी मुझको
मैंने तो हर वक्त धुवे में बनती तेरी तस्वीर से बातें की है
तू सोचती होंगी मैं बुजदिल मौत से डरा खामोश हुं
पर तू नहीं जानती मैंने कई बार यमदूतो से बातें की है
तू कैस की लैला रांझा की हीर हो फारद की सीर हो
पर मैं नही राधा कृष्ण की चाहत की जो मुझ में पीर हो

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3 MAR 2023 AT 21:54

कभी मैं कोरा कागज था
आज मैं किताब बन गया हूं
कभी कविता कभी कहानी
के रूप में लिखा गया हूं
फिर भी जाने क्यों मैं गुमसुम हूं

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