Sudhir Dadhich   (Suधीर दाधीch)
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Joined 17 December 2017


Joined 17 December 2017
10 MAY 2021 AT 22:48

हर किसी में वो बात नहीं होती
हर किसी से मुलाकात नहीं होती।।।

लगे दिल पे मायूसी अगर किसी कि,
उस से बढ़कर कोई दीवानगी नहीं होती।।

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29 MAR 2021 AT 1:05

बेखबर है जमाना, सख्शियत से तुम्हारी...
हुनर इस कदर बुनो, शोर हर शहर में तुम्हारे नाम का हो।।

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30 DEC 2020 AT 20:35

चांद भी चुपके से तुझे निहारने आता है,
वरना मजाल है इस ठंड में कोई बाहर निकले।।

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10 DEC 2020 AT 0:06

"रिश्ते"
नाम के हैं अब सारे रिश्ते, काम के हैं अब सारे रिश्ते..
जिस दिन उब जाता मन,उस दिन टूट जाते हैं रिश्ते।

झूठे हो गये हैं रिश्ते,सवार्थ से भरे है ये रिश्ते..
दौलत से नपने लगे है रिश्ते,अपने नहीं रहे है रिश्ते।।

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4 DEC 2020 AT 19:21

मैं प्यार लिखूं , तूम प्यार निभाना...
मैं बयां करू खुशी,तुम अपना नाम बताना।।

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3 DEC 2020 AT 0:17

किस्से आज सच हो गए,अपने आज अजनबी हो गए...
जो कल तक झुकते थे सामने, आज उन सांपो के फन हो गए।।

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23 JUN 2020 AT 23:03

न जाने क्यों लोग जमाने को कोसते है,
क्यू हर छोटी सी बात पर मजबूरियां रोते है।
थामते है हाथ,तो साथ निभाना भी चाहिए,
जमाने के डर से क्यू किसी का दिल तोड़ते है।।

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17 JUN 2020 AT 22:35

तू चाहत थी,ख्वाहिश थी, तू जरूरत थी ,
तू उम्मीद थी,हसरत थी,तू जिंदगानी थी..
मगर यूंही रास्ते में बिछड़ जाएंगे,
सोचा न था।।
हुई जो खता माफ कर देना,
दिल दुखने का इरादा न था।
था तू दिल के करीब मेरे,
सफर यूंही रास्ते में ख़तम होगा,
सोचा न था ।।
दुआ है तू सदा खुश रहे,मुस्काए,ब्लखाए..
जहां भी रहे,हर लम्हा महकाए।
खटास नहीं कोई तेरे लिए,
आज भी तेरी तस्वीर देख मुस्काता हू।
सायाद हूं ही मैं ऐसा,
क्या करू, मैं रिश्ते नहीं निभा पाता हूं।।

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23 MAY 2020 AT 19:49

मैं कलम बनू,
तुम स्याही बनना।
अल्फ़ाज बनकर,
प्रेम गीतो में बिखर जाएंगे।।

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10 MAY 2020 AT 23:49

जिनकी जेब भरी हो, उनको फरक नही पडता ।
गूजर बसर करते है जो , जरा सी कमाई से,उन पर रोज पहाड़ टूटता है।
अच्छा खासा मजाक है, की भूख से कोन तडफता है ।
जरा निकल कर देखिये घर से, यहा हर पल कोई बेमोत मरता है।।

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