आंखें खोलो 'सुधीर'
अभी कयामत नहीं आई
जिस्म से रूह की
अभी जमानत नहीं आई....-
थकान ने घेर लिया है निराशा हर तरफ है
प्यार बस दिखावा है तमाशा हर तरफ है
मैं भी निकला था ढूंढने किस्मत अपनी,
अब साथ कौई नहीं है दिलाशा हर तरफ है ।
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तेरी कामयाबी पर तारीफ,
तेरी कोशिश पर ताना होगा।
तेरे दु:ख में कुछ लोग
और सुख में जमाना होगा।।-
मत पूछ कि मैं तेरे बिन कैसे रहा,
मेरी रात कैसे गुजरी, मेरा दिन कैसे रहा..
आज फिर सारा दिन यादों को इगनोर किया,
आज फिर सारी रात, सन्नाटे ने शोर किया...
धडकने उदास रहीं, मेरा जहन कैसे रहा,
मेरी रात कैसे गुजरी मेरा दिन कैसे रहा...
आज फिर मैं तुझको सीने से लगा के सो गया,
आज फिर, मैं एक और स्वप्न में खो गया,
आंख खुली, फिर खालीपन, मेरा मन कैसे रहा,
ये रूह कैसे सम्भली, ये बदन कैसे रहा...
तू बता, मेरे बगैर तेरा दिल कैसे रहा,
नींद कैसे आई,गाल का तिल कैसे रहा?-
जाने के बाद तो याद करेंगे दुश्मन भी
कोई साथ होकर साथ दे तो क्या बात है-
जो ख्वाब किसी और के साथ देखा जाए,
भला है गर वो देखने से पहले ही छोड़ा जाए...-
तुझे दिए आंसुओं का हरजाना बाकी है,
इश्क जो किया तुमसे निभाना बाकी है
किया इश्क फिर मरना जीना कौन भला देखे
तेरे इश्क अभी मेरा मर जाना बाकी है..— % &-