Sudheer Radhika   (Sudhiti)
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जय श्री राधेकृष्णा❤
Joined 18 January 2019


जय श्री राधेकृष्णा❤
Joined 18 January 2019
28 JAN AT 12:27

बात अगर सुकूँ की करें तो
आपकी आवाज़ ही काफ़ी है
❣️❣️

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27 DEC 2024 AT 22:34

जब ढलते सूरज की लालिमा
खिड़कियों से छनकर
उसके यौवन को छूते हैं
तब वो बेबाक सी भागती
दरवाजे को निहारती है
पूछती हैं उस लालिमा से,
पूछती हैं घिरते अंधेरों से,
पूछती हैं घरौंदों को लौटते उन पक्षियों से
घटाओं से, फिज़ाओ से
और सनसनाती उन हवाओं से कि
परदेशी तुम कब आओगे ?...


"बाट निहारत नैन थके
बीते पहर दो पहर
चटकत चांदनी आ जइयो पिया
फूटें न फिर से भोर किरन "


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1 SEP 2024 AT 23:18

वो रात हमारी थी
वो सफर हमारा था
वो पल, वो एहसास
वो सबकुछ हमारा था
वो चुम्बन, वो चेहरें की चमक
वो नया नाम हमारा था
वो राज़, वो ख्वाब, वो ख्वाहिश
वो कहने का अंदाज़ हमारा था
दिल्ली से प्रयागराज तक साथ रहे हम
फिर भी हममें दूरी रही...
वो हसीन पल याद आते है
चले आओ की दिल भरता नही
वो सबकुछ हमारा था, हमारा है
अब तुम भी बन जाओं ना..….


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7 AUG 2024 AT 20:51

खिड़की के आकार जितना
क्योंकि हम खिड़की से उतनी
ही बाहरी दुनियां देख पाते है
जितना उसका आकार है...

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30 APR 2024 AT 18:11

लिखूं मै कोई कविता ये उनकी फ़रमाइश है।
उनके प्रेम को शब्दों मे पिरों दूँ ये मेरी ख़्वाहिश है।
मगर शब्द मै लाऊं भी कहाँ से ?
मेरे ख़यालो का मक़ाम भी तो उन्ही का है...

लिखूँ मै तपती धूप या दोनो तरफ लगी आग को?
बरखा-बादल,शीतल हवा या विरह मे डसते नाग को?
लिखूँ मै उस मिलन को, जिसमें बगावत भी है
और अपनों का साथ भी...
लिखूँ मै उन मन्नतों को जो हमने एकदूसरे के लिए की
या एक अथाह प्रेम को किसी कविता का रूप दूँ...
निःशब्द हूँ मै क्यूंकि,
ये मेरे प्रेम के लिहाज़ के तौहीन होगा।


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17 APR 2024 AT 1:22

लोग मरते होंगे सूरत पर...
पतिदेव जी हमे तो आपकी आवाज़
से भी बेइंतहा मोहब्बत है।

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4 APR 2024 AT 12:12

अगर मुझे तुम्हें कुछ देना होता
तो शायद मै वो नजर देती
जिससे तुम देख पाते खुद को
तब तुम्हें पता चलता की
मेरी नजर मे तुम क्या हो
तुम इतने खास क्यूँ हो
इतने क़ीमती क्यूं हो
शायद तुम्हें देने के लिए
सबसे महंगा और क़ीमती
तोहफा यही हो सकता है
कि मै अपनी नजर
या अपना नजरिया दे सकूँ
तब तुम्हें ये एहसास हो
की तुम कितने खास हो है ना..

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1 APR 2024 AT 21:56

उसका साथ कभी न छोड़ना...
जिसने तुम्हे अपना
साथ, समय और समर्पण भेंट दिया हो।

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31 MAR 2024 AT 11:46

महज़ वो एक ईशारा था,
एक चाय की प्याली का...

दिल तो उसी दिन हार बैठे थे,
जब इत्तेफ़ाक से नजरें उनपर पड़ी थी...

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26 MAR 2024 AT 17:18

मुझ पर रंग उसी का चढ़ा हुआ है,
जिसने रंग लगाया ही नहीं...

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