इश्क़ कहता है भटकते रहिये,
हुक्मरानों का फरमान आता है घर में रहिये।
अब तुम्हीं सुझाओ ना इन बंदिशों में इश्क़ कैसे फ़रमाया जाए।
-
- CA📖
- ARTIST🎯
- Misfit
Join me on
Instagram.com/creating_moment
Twitter.com/SrsS... read more
कविताओं में वो पहली सी बात नहीं होगी
शोभित कर दे छंद वो अलंकार नहीं होंगे,
किस्से- कहानियों में वो रूहानियत नहीं होगी
लाज़िम है कि चर्चे उनके बारंबार नहीं होंगे।
-
भोली-भाली प्यारी-सी वो लड़कियां जो छोटी-छोटी बातों में ही बड़ी से बड़ी खुशियां ढूंढ मुस्कुरा देती हैं, अरमान जिनके आसमां नहीं होते, बस कुछ छोटी-सी, प्यारी-सी ख्वाहिशें होती हैं!
ये वो लड़कियां हैं जो छोटे शहरों में आधुनिकता की युग में जानकारियां तमाम रखती हैं, साथ ही अपने संस्कारों की पोटली संग लिए चाँद-तारों तक पहुंचती हैं!
और जब ये छूती हैं ना आसमां के सितारों को तो इनके छोटे "शहर" भी जगमग हो उठते।-
दूर ही सही,
उनके चेहरे पर एक बड़ी-सी मुस्कान चाहिए
मुमकिन तो नहीं हर वक्त संग रहना!!-
"मर्यादा"
यह शब्द सुनकर हमारे मस्तिष्क में कैसी भावना उत्पन्न होती है?
शायद बंधन?
किंतु कुछ बंधन ऐसे भी होते हैं जिनमें हम स्वतंत्रता का अनुभव कर सकते हैं जैसे कि "मर्यादा" रूपी बंधन| इस बंधन का उद्देश्य हमें जकड़ना नहीं अपितु हमारे जड़ से जुड़े रहने में हमें सहायता प्रदान करता है!
अतः मर्यादीत रहकर भी आजादी का स्वाद चखा जा सकता है!
आजादी का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं कि हम 'तंबाकू-सेवन' करते हुए भारत की सड़कें रंगते चले या फिर ''अभिव्यक्ति की आजादी'' के आड़ में "भारत तेरे टुकड़े होंगे" जैसा देश विरोधी नारा बुलंद किया जाए!
आजादी का मतलब यह भी नहीं कि हम अपनी परंपराओं को रूढ़िवादी करार देते हुए आगे बढ़ जाए अपितु परंपराओं और विज्ञान के समन्वय से श्रेष्ठ भारत का निर्माण करें|
अतः परंपराओं के निर्वाह हेतु पूर्ण अधिकार मिलना ही सच्चे मायने में आजादी कहलाता है!
आओ इस स्वतंत्रता दिवस पर मर्यादा में बँध कर देश का मान बढ़ाया जाए और दूसरों को सिखाने से पहले खुद को सुधारा जाए!
अंत में स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं! जय हिंद! जय भारत!
- सुधांशु शुक्ला-
उनकी चार बातें सुनने को झूठ का
सहारा लेना पड़ता है,
हाल सही हो फिर भी बेहाल बताना पड़ता है!-
वो सूरत-सूरत चिल्लाएंगे,
आप सीरत पर अटके रहना!
वो सूरत पर इठलाएंगे,
आप रूह को पकड़े रहना!-