Sudhanshu Shahi   (the_reflective_nib)
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~~ मेरी तुम्हारी इक जैसी ही हाज़त है,
लिखना पढ़ना हम दोनों की आदत है । ~~
Joined 20 May 2018


~~ मेरी तुम्हारी इक जैसी ही हाज़त है,
लिखना पढ़ना हम दोनों की आदत है । ~~
Joined 20 May 2018
12 JUL AT 15:32

मुन्तजिर दिल को इशारा भी मिला नहीं कोई तुमसे,
कमाल देखो, हमें फिर भी गिला नहीं कोई तुमसे,

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12 JUL AT 15:11

तुम अगर चाहो तो कुछ दूर यूँ ही साथ चलते हैं,
अगर इस बार पूरे दिल से मिल पाओ तो मिलते हैं।

कहते हैं दूर से हर मंज़र हसीन लगता है,
मुझे कुछ दूर से मुझको दिखा पाओ तो मिलते हैं।

मेरा जलना मेरी क़िस्मत नहीं ज़रूरत है,
तपिश इस ज़हन बर्दाश्त कर पाओ तो मिलते हैं।

मेरे फ़ितूर की वजह का तो अंदाज़ा है तुमको,
मेरे फ़ितूर की हद भी समझ पाओ तो मिलते हैं।

बहुत कुछ खो के पाया है ये दौर ख़ुश्क आँखों का,
इन्हें फिर नम किये बिना बिछड़ पाओ तो मिलते हैं।

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28 MAY AT 12:16

नहीं, ज़रुरत नहीं है नसीहत की मुझको,
आदत हो गयी है अब ख़ल्वत की मुझको।

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27 MAY AT 18:12


सबसे मुश्किल सवाल है ये आदमी के लिए,
आख़िर क्या चाहिए होता है ज़िंदगी के लिए।

सिर्फ मेरी दलील सुनकर फ़ैसला न करो
कहानी मुख़्तलिफ़ होती है हर किसी के लिए।

सैलाब-ए-जज़्बात से करता हूँ हिफ़ाज़त इनकी
वरना दो चार रिश्ते क्या हैं इस नदी के लिए।

तेरी दुनिया में तेरे सामने तस्लीम करता हूँ
मैं अब और नहीं लड़ सकता, ख़ुशी के लिए।

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21 MAY AT 21:10

घर से इतना दूर हुए कि घर का रस्ता भूल गए,
तू तो तू है, हम तो अपना खुद का चेहरा भूल गए।

नहीं चाहिए हमको कोई साथ निभाने वाला अब,
ये इतनी सी बात हम शायद तुम्हें बताना भूल गए।

क्या होता है जीना मरना, क्या होता है सुख या दुख,
ऐसा उलझे जीने में कि फ़र्क ही सारा भूल गए।

हमसे तुम्हें है आख़िर क्या उम्मीद, नहीं मालूम हमें,
इतना है मालूम, हमें जो भी मालूम था भूल गए।

गीत थे अपने पास कभी, और आज देख आवाज़ नहीं,
दुनिया छोड़ो, हम ख़ुद अपने मन की भाषा भूल गए।

मरते हैं या सो जाते हैं, रोज़ नया कुछ हो जाते हैं,
किसको कब क्यूँ दिया है हमनें कौन सा धोखा भूल गए।

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4 MAY AT 18:54

कब कहा मैंने कोई नाज़ उठाए मेरे
या फिर दुनिया को नहीं राज़ बताए मेरे।

कब कहा मैंने मुझे दोस्त की ज़रूरत है,
कब कहा साथ कोई वक़्त बिताए मेरे।

अब और कितना साफ़-साफ़ तुझे बोलूं मैं,
मैं नहीं चाहता कोई कमरे को सजाए मेरे।

अजीब मोड़ पे हूँ, अब बुरा लगता ही नहीं,
चाहे जितना भी कोई दिल को दुखाए मेरे।

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23 APR AT 12:13

मोहब्बत का मुझको किनारा मिला है
फरेब ही सही पर सहारा मिला है।

मिला है सफर एक नया फिर से दिल को
दोस्त कोई बिछड़ा दोबारा मिला है।

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11 APR AT 16:01

A man with a heart full of shame,
Admits his truth, his deepest claim.
He hates himself, his life, his name,
A hero's facade, but a soul in flames.

( full poem in the caption)

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19 MAR AT 16:02

कितने तुमको यार सुनाएं कितने ये अफ़साने हैं,
कितने आखिर अहल-ए-यकीं हैं कितने हम दीवाने हैं,

तू ही सुना कुछ किस्से साथी तेरी ही कुछ बात चले,
अपने तो सब किस्से भी अब होने लगे पुराने हैं,

मुद्दत पहले खुद से खुद का राबता जो छूट गया
आईने में इस सूरत को हम अब कुछ कम पहचाने हैं,

जो बीत गया वो बीत गया उससे तो शिकायत क्या ही करें
जो बीत रहा है उससे भी तो हम बिल्कुल अनजाने हैं,

प्यार, भरोसा, शौक, खुशी ये सब किस्तों में बांध दिए,
एक जीवन के ज़रा समय में बहुत उधार चुकाने हैं.

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17 MAR AT 13:15

Dear Teenager me,

i m writing it to tell u that it all will change, everything that's amazing, and everything that's pathetic it all will change.
Just a few years down the road, u will find out that growing up was not as awesome as u imagined it to be.
Soon, u will start losing ur innocence, ur dreams, ur friends, and yes even cricket.
Remember that trip that u planned with ur friends when u all started earning, u would never take that trip, and neither would u want to. U will see ur loved ones die, struggle and suffer and u wouldn't be able to do anything.
But it's not all bad. U will start cherishing every moment with ur family cause there won't be much of them. U will learn some very important as letting go is as importantas holding on. U will be independent, or at least they will tell u that u are. But the silver lining is u will survive, u will find a way to navigate through all the challenges, so just keep at it.

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