मेरा परिवार
यहां खिलती धूप भी है और घनी छांव भी
जहां तन्हाई भी है तो कभी कांव कांव भी,
सब के एकमत होने से निखरता है परिवार,
बढ़ जाता जब लोभ बिखर जाता है परिवार।
हर छोटी बड़ी बात से बढ़ता हमारा प्यार है,
और हर दिन ही मनता यहां त्यौहार है।
घर के बड़े बुजुर्ग परिवार की नींव हैं,
मम्मी पापा चाचा ताऊ इसकी दीवार हैं
भैया भाभी, बुआ, चाची और प्यारी बहना,
सजते हैं ये सब घर में जैसे सुंदर गहना।
बच्चों का कोई मोल नहीं परिवार हमारा अनमोल है।
सुधांशु मिश्र 'रसिक'
पवई, मुंबई -७२
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होली का त्यौहार -
देखो देखो आया होली का त्यौहार,
रंगों के बौछार संग खुशियां अपार।
नीले पीले हरे गुलाबी नारंगी फुहारों से,
भीगे तन मन भीगे आंगन गुलाल के बौछारों से।
टेसू के फूलों की खुशबू महकाए है गांव गली,
जिधर देखते उधर दौड़ती सतरंगे बच्चों की टोली।
बाल, युवा सभी प्रसन्न हैं, खाकर गुझिया भंग की गोली।
प्रेम और सौहार्द बढ़ाती मिलती जब मित्रों की टोली।
बाबा दादा सभी प्रसन्न हो छोटों पर स्नेह लुटाते हैं,
बच्चों को होलिका संग प्रह्लाद की कथा सुनाते हैं।
-सुधांशु मिश्र "रसिक"
पवई, मुंबई -७२-
चाय, कॉफी को पीना....
क्या तुम नहीं चाहते कुछ और दिन जीना।
थोड़ा कालीमिर्च, अदरक, अजवाइन और
गुड़ के साथ एक कप जल उबालना,
जब रह जाए शेष आधा छान कर फिर
धीरे धीरे ये काढ़ा पीना।
देखना जीवन में आने लगेगी नई बहार,
अनुभव करोगे नई ऊर्जा होगा शक्ति संचार।
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मन की उर्वर जमीन
पनपते थे जहां हजारों सपने
उगती थीं जहां अनगिनत ख्वाहिशें
पाला सा पड़ गया है आज
इस उर्वर जमीन पर
अब नहीं पनपते ख्वाहिश और सपने
जैसे छूट गए हो जहां में सब अपने.-
🪔शुभ दीपावली🪔
सब पर्वों में यह श्रेष्ठ है
भरता जीवन में प्रकाश
आलोकित करता तन मन
करता खुशियों की बरसात
पूजते सब मां लक्ष्मी को
श्रीशारदा गणेश समवेत
बुद्धि विवेक से पाषाण हृदय
भी होता आप्लावित बारम्बार
देती है मां सब भक्तों को
ऐश्वर्य धन वैभव अपार
हों प्रसन्न सब के तन मन
नित बढ़े प्रेम सौहार्द
प्रेम पूरित हृदय से
करें शुभकामना स्वीकार
शुभ हो आप सभी को
महान दीपोत्सव त्यौहार।
🌹🙏🏻जय श्रीसीताराम🙏🏻🌹
-सुधांशु मिश्र "रसिक"-
एक पैग़ाम प्यार के नाम..
देखा है मैने उसे हंसते हुए भी
जैसे बागों में खिलती थी कलियां,
कभी देखा है उसे रूसते हुए
मुरझाई हो कुमुदनी जैसे चांद के ग़म में
छोड़ दिया हमने भी अब कुछ कहना
शायद चाहती है वो भी मुझसे दूर रहना
कहने सुनने को बातें ही बची कहां
वो दिखाना चाहती है ख़ुद को व्यस्त रहना
उम्र लंबी हो उसकी और उसके प्यार की
दुवाएं ही दे सकता हूं बाकी क्या कहना
अंतिम हो ये ख़त मेरी मोहब्बत का
उसे इल्म भी न हो बस अब कुछ न कहना.-
कभी देखी है मैने
उसके अधरों की मुस्कान जैसे
तालाब में खिलता कमल...
उसके लबों की मिठास जैसे
शहद में घुली गुलाब की कली
उसके नैनों की चमक जैसे
झील में झलकते हों मोती
चाल के तो कहने ही क्या
शरमा जाए मदमस्त हाथी☺️-
कुछ तो बात है उसमें
कुछ तो खास है उसमें
यूं ही दिल में नहीं बसा
मेरा पूरा संसार है उसमें-
जलाने लगी है ...
बेताबियां बढ़ाने लगी है
तन्हाई में ज्वाला सी उठती है
तू नहीं तो ज़िंदगी ख़ाक हो रही है-