सुधांशु शेखर   (सुधांशु✒the bright moon))
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आत्मबंधन♥️🖤
Joined 13 April 2018


आत्मबंधन♥️🖤
Joined 13 April 2018

"अधर प्रेम कि गागरिया
नैन अश्रु दिए छलकाय,
राग वियोगन जब छिड़ा
तब व्याकुल मन बलखाय!

सांझ कटे ,दिन रैन कटे
नैयन के सुख चैन कटे,
वो सघन आस में प्रेम की
चित चंचल रहे लगाय!

ऋतुराज़ कटा,शिवमास कटा
लख माह दिए बिताय,
बैरन लौट कर आया ना
बिछोडा़ दिए सहाय!!

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सांवरा सा प्रेम था
वो बावरी सी देह थी,
वो छलिया था जो छल गया
तेरा प्रेम अधूरा रह गया!

प्रेमिका का राग था
अर्धांगनी का खाब था,
रह गयी जो चाह थी
तेरी "मृगतृष्णा" बन गयी!

वो बचपना कि यकीन था
जो सब्र करता रह गया,
छिन गया तेरा चैन था
तेरे नैन व्याकुल थक गए!

-सुधांशु (the_Bright_m0on)

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ऐ ज़िन्दगी हवाले तेरे ,
कुछ ख़ाब लेकर आया हूँ!
कंही शाम खो कर आया हूं
कंही रात गनवां कर आया हूँ!

के वक़्त कि इस दौड़ में
कुछ लम्हें सिमट कर रह गए,
कुछ मिट गए जो निशान थे
कुछ याद बन कर रह गए!

इन मन्ज़िलों कि चाह में
कुछ "राज़ " पुराने बिछड़ गए,
एक करवां है हम दोस्तों का
जो "अजीत" बन कर रह गए!

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झर झर बरसे बदरा जो
वो आँसू सुर्ख रुलावेगा,
तू बिछड़न कि सौगात ना दे
मन बैरी खूब सतावेगा!

तू झांझर अपने चालों कि
जो आँगन में थिरकावेगा,
मन कैदी है तेरी चालों का
तेरी चाल चलन लग जावेगा!

तू मंद मंद तेरी साँसो कि
जो सुर में गाता जावेगा,
मन बावला है तेरे गीतों का
तेरे राग रटन लग जावेगा!

मन बावला है तेरे गीतों का
तेरे राग रटन लग जावेगा

-"सुधांशु (the_bright_moon)🌕"

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छू कर तेरे कदमों को वो दरिया भी मदहोश हो गया,
महबूब तेरी चाल पर मैंने बूंदों को थिरकते देखा है!


-"सुधांशु (the_bright_moon)🌙"

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ये प्रीत है कोई रीत है,
या सौंधे मन संगीत है!
कोई छंद मेरे छीन कर,
मोहे अपनी धुन में रच रहा!

कोई साज़ मेरे छेड़ कर,
या लिबाज़ मेरा ओढ़ कर!
जो मैं सुन रहा कुछ और है,
या वो नाम मेरा ले रहा!

ये बैर है,बैराग है,
या बावरा कोई राग है!
कोई रंग मेरा छीन कर,
मोहे अपने रंग में रंग रहा!

ये चूडियों कि झंकार है,
या पायलों कि छंकार है!
जो थिरक रहे मेरे पाँव हैं,
या कोई चाल अपनी चल रहा!

-सुधांशु (the_bright_moon)🌙

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वो आसमां भी गरज़ गया
वो बारिशें भी बरस गयी,
ना फिक्र हुई सवेर कि
रात आहटों में गुज़र गयी!

वो बारिशों कि बौछार थी
या तेरी चूडियों कि छन्कार थी,
वो गरज़ रहा आसमान था
या तेरी पायलों कि झंकार थी!

वो रंज था कोई घटाओं का
या तेरी जुल्फों में कोई उलझ गया,
जो मैं ठहर गया मेरा सब्र था
या तेरे केशुवों का कोई ज़ाल था!

वो राग था हवाओं का
या तेरे श्रृंगार का कोई साज़ था,
जो मैं बहक गया मेरा फ़रेब था
या तेरे रूप का कोई कसूर था!

-"सुधांशु✒(the bright moon)"






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मैं दाग नहीं
मैं बेदाग़ हूँ,
मैं इश्क़ सफेदा
मैं चाँद हूँ!

मैं ख़्वाब हूँ
मैं इक याद हूँ,
मैं बेपाक़ मुहोब्बत
इक फ़रियाद हूँ!

मैं सब्र हूँ
मैं शुकून हूँ,
मैं सौंधे मन का
सबूर हूँ!

तू इश्क़ लिखे तो
मेरा नाम लिख,
मैं इश्क़-ए-निशां
मैं चाँद हूँ!...

- "सुधांशु🖋️(the_bright_moon)










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मेरा सवेरे से
तालुकात नही,
मुलाकात मेरी बस रातों से
हुआ करती है...

मैं चाँद हूँ आसमान में है घर मेरा,
जमीं पर रिवायतें मेरी
"सुधांशु" तेरे नाम से
हुआ करती हैं,

खाली सड़के और
सर्द हवाओं का पहरा
सौगातें मेरी तारों के आशियाने
में हुआ करती हैं

और कौन कहता है
मेरा कोई बजूद नही...
सफ़र में भटके
उस मुसाफ़िर से पूछ
तलाश मेरी अक्सर
अंधेरों में हुआ करती है!

-"सुधांशु"(the_bright_moon)




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ये रात मद्धम
ख़ामोश है चाँदनी,
वो तारे अपने उजालों से
कुछ बिछड़े हुए से हैं!

तू नज़दीक है मेरे
या मैं दूर हूँ तुझसे,
वो मुहोब्बतों के धागे
कुछ टूटे हुए से हैं!

अजब सी कश्मकश है
या वफाओं कि है रागनी,
कि नुमाइशों के कायदे
कुछ बिखरे हुए से हैं!

और तू गौर कर
मैं आईना हूँ तेरा,
तेरी जुल्फों के बादल
कुछ उलझे हुए से हैं!

-सुधांशु✒the bright moon)

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