ये प्रीत है कोई रीत है,
या सौंधे मन संगीत है!
कोई छंद मेरे छीन कर,
मोहे अपनी धुन में रच रहा!
कोई साज़ मेरे छेड़ कर,
या लिबाज़ मेरा ओढ़ कर!
जो मैं सुन रहा कुछ और है,
या वो नाम मेरा ले रहा!
ये बैर है,बैराग है,
या बावरा कोई राग है!
कोई रंग मेरा छीन कर,
मोहे अपने रंग में रंग रहा!
ये चूडियों कि झंकार है,
या पायलों कि छंकार है!
जो थिरक रहे मेरे पाँव हैं,
या कोई चाल अपनी चल रहा!
-सुधांशु (the_bright_moon)🌙
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