Sudha Pandla   (Sudha pandla(rohilla))
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Joined 23 August 2023


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Joined 23 August 2023
23 APR AT 0:03

Preparing, getting ready, making plans,
Following through—though with some loopholes,
Attempts after attempts, followed by failures...
A never-ending cycle in my life.
And yet, nothing ever feels new—
Just failure... failure... and more failure.

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22 APR AT 23:52

The breakdown still continues within me,
I haven't yet been forged completely.
There are still many flaws left, which I must correct,
I still have to give strength and direction to struggling paths and a wavering future.
I have no identity yet — it is yet to be built.
The roads are mine, the destination is mine, and the journey too is mine to make it
Because my identity depends solely on me.


! Sudha pandla(rohilla)!

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19 APR AT 20:13

To reach greater heights, you need to leave behind those who limit your growth.

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17 APR AT 17:44

बात यह नही थी कि हमारे पास मित्रों की कमी थी,
बात तो सिर्फ इतनी सी थी कि हमने जिसको माना उसने हमें भाव तक नही दिया।।

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17 APR AT 13:59

Imbalance can be reduce your growth so maintenance of brain and balance would be must for the target.

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16 APR AT 17:11

अगर कोई किसी व्यक्ति की अहमियत बिना किसी नफा -नुकसान की परवाह किए बिना ना समझे तो समझ लो वो रिश्तों को तोङने में बहुत माहिर है।

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15 APR AT 23:07

"कुछ बात "

तुम्हारी आँखों में जो खामोशी है,
वो मुझे अपनी साँसों से सुनाई देती है।
जब तुम पास नहीं होती,
तब भी तुम्हारी खुशबू हवा में उलझी रहती है…
जैसे कोई अदृश्य बाँहें मुझे हर पल छूती हों।
अगर कभी मेरी उंगलियाँ तुम्हारे चेहरे को छू लें,
तो हर लकीर में सिर्फ तुम्हारा नाम लिख दूँ।
तुम्हारे होठों से निकली हर बात…
मेरे सीने के सबसे कोमल हिस्से को छू जाती है।
और जब तुम कहती हो "love you",
तो लगता है जैसे ज़िंदगी ने मुझे पूरा कर दिया।
तुम पूछो, तो मैं अपनी धड़कनों को भी तुम्हारे नाम कर दूँ…
क्योंकि तुम सिर्फ कोई इंसान नहीं —
तुम वो सुकून हो, जो मेरे सारे अधूरे ख्वाबों को पूरा कर सकता है।
अब बताओ,
अगर मैं तुम्हें बाँहों में लेकर चुपचाप सिर्फ धड़कनों की ज़ुबान में बात करूँ, तो चलेगा ना?

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15 APR AT 17:22

It doesn't matter where you sit or what you do; it just matters how much you use your brain at a right time and right place.

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13 APR AT 19:37

शुक्रिया उस शख्सनुमा महल का जिसने मुझे इतनी बेरहमी से अपना बनाकर अपने से दूर उस तुफान में फेंका कि जहाँ से कुछ समय तक वापस महल की और जाने की ललक ने मुझे तूफानों से मजबूती से लङकर संभलना सीखा दिया।लेकिन अंत में परिणाम यह रहा कि अब जीवन में किसी भी महल की ललक का भाव ही समाप्त हो गया।क्योंकि महल महलों वालो को शोभा देते है।और हम राजा नही बल्कि वो पथिक है जो कुछ क्षण के लिए अपना पथ भूल गये थे।🙏🙏🙂🙂

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10 APR AT 11:04

" सत्य है या नही?"

ज्यादा पढ -लिखकर एवं अच्छा कैरियर बनाकर भी अगर गरीब घर में किसी लङकी को जाकर रहना पङे तो ठीक वैसा ही है जैसे गणित में पीजी करके नौकरी करने के बाद फिर से 11वी कक्षा में संस्कृत लेकर पढाई करना और फिर से भविष्य की चिंता करना।।
अगर घरवाले कर रहे है तो मजबूरी है जबकि अगर कोई अपनेआप करने की ठान रहे है तो करने वाले की मति मारी गयी है ,लङके की तो बल्ले-बल्ले है चारों तरफ से ,उसको कोई समस्या हो कोई सवाल ही नही उठता 🤣🤣🤣 ।।।जय जीण भवानी 🙏।।

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