Sudha Maurya   (Sudha maurya)
34 Followers 0 Following

Don't invest yourself in the wrong people.
Happy birthday 24 January
Joined 15 June 2025


Don't invest yourself in the wrong people.
Happy birthday 24 January
Joined 15 June 2025
25 AUG AT 10:52

सांसों पर हुकूमत तेरी,हर पल का सुकून हो तुम,
जीने की वजह जिससे,वो सुरताल हो तुम,

ठंडी हवा के कशिश में बहक जाए मन,
बारिश की वो हल्की फुहार हो तुम,

झूम उठे मेरा दिल सोच के तुमको,
मेरे मन का वो त्यौहार हो तुम,

रग -रग में बसे बहते खून हो तुम,
खामोश होकर भी व्यक्त हो जाए ऐसा एहसास हो तुम,

जिंदगी की हर सुबह या ढलती शाम हो,
मेरी हर सांस और धड़कता दिल हो तुमl

-


20 AUG AT 16:32

कभी-कभी जरूरी हो जाता है हादसों का हो जाना,
अपनों का रूठ जाना और कहीं गुम हो जाना,
कभी-कभी जरूरी हो जाता है हादसों का हो जानाl

सुनते- सुनते लोगों की खुद को खो देना,
अपने जज्बातों का जहाज बना दरिया में फेंक देना,
कभी-कभी जरूरी होता है हादसों का हो जानाl

ख्यालों को दिल में दबा कर घुट -घुट कर जीना,
चीखों को अपने तकिए से दबाना,
कभी-कभी जरूरी होता है हादसों का हो जानाl

मुश्किल वक्त में अपनों का छोड़ना,
रास्ते फिर से सही ढूंढने के लिए,
कभी-कभी जरूरी हो जाता है हादसों का होनाl

-


19 AUG AT 11:01

बिन मौसम बरसात से चले आते हो,
बिना कहे सारी बातें सुना जाते होl

मैं रातों में जब चैन से सो जाती हूं,
मेरे ख्वाबों में मुझे सताने आ जाते होl

शायद तुमसे पिछले जन्म का रिश्ता है,
बिना कहे दिल का हाल समझ जाते होl

इजहार- ए -इश्क कभी किया नहीं मुझसे,
फिर भी बारात ले सितारों की आ जाते होl

कहीं तुम वो तो नहीं जिसका मुझे इंतजार है,
मौसम है इश्क का इजहार से क्यों डरते होl

-


17 AUG AT 9:41

खामोश एहसासों को चुप रहने देते हैं,
लब चले ना चले नज़्म गढ़ते रहते हैंl

बस एक डर है उसे खोने का,
कि बार-बार उसे महसूस करते रहते हैंl

खुद को रोज कसती हूं जिंदगी की कसौटी पर,
के इस जिस्म मे रोज जान भरते रहते हैंl

भरे हैं रात की किरकिरी कुछ ऐसे आंखों में,
उजाला हो तो पलके झपके रहते हैंl

हम भी मिट्टी में गड़े जड़ों की तरह हैं,
जहां दिल लग जाए वहां ताउम्र खड़े रहते हैंl

-


16 AUG AT 8:59

रातों को अक्सर हम मचलते क्यों हैं,
छोड़ हमें ये सपने तन्हा निकलते क्यों हैंl

सूनी - सी छत पर तारों का घना पहरा,
उसमें कैदी से मजबूर हम टहलते क्यों हैंl

रात को सारा आसमान बस मेरा होता है,
हाथों से मेरे फिर ये छूटता क्यों हैl

दिल तो दिल है उसको तो होश नहीं,
उसकी बातों से भला हम बहलते क्यों हैंl

टूटते तारे से करते हैं लोग दुआ,
जानते हैं दर्द तारे फिर पिघलते क्यों हैंl

हमको मालूम है कट जाएगी ये रात,
फिर भी न जाने करवटें बदलते क्यों हैl

-


15 AUG AT 20:35

लोग झाकते हैं दूसरों के घरों मे,
उन्हें पता नहीं बिना खिड़की के दीवार नहीं होताl

पल रहे हैं आस्तिनो मे सांप ना जाने कितने,
नमक खाया हुआ हर शख्स वफादार नहीं होताl

किस्तों मे भी नहीं चुकाता कोई किसी का कर्ज,
आजकल किसी का किसी पर कोई अहसान नहीं होताl

हर इंसान किये बैठा है जुर्म यहां पर,
दूसरों के लिए जज है पर खुद के लिए कभी वकील नहीं होताl

खुद मे और खुद के लिए अब जी ले' सुधा ',
दूसरों के नज़रिये से गलतियों का कोई हिसाब नहीं होता l

-


14 AUG AT 10:13

ठोकरों से,जख्मों से, अश्कों से,मिलता है,
जिंदगी का तजुर्बा कहां किताबों से मिलता हैl

मुस्कुराने से,दुआवों से,किसी को गले लगाने से मिलता है,
दिल को सुकून कहां धन की अंबारों से मिलता हैl

बेसब्री हो मिलन की, दूरियों से,इंतजार से,मिलता है,
किसी के होने का एहसास कहां नजदीकियों से मिलता हैl

रात ख्वाबों में,अचानक किसी के आने से,हिचकियों से मिलता है,
किसी को याद करने का सबब कहाँ कहने से मिलता हैl

सावन हो,तेरा आलिंगन हो,तेरे साथ होने से मिलता है,
सुकून कहां दिल को जिस्मानी तालुका से मिलता हैl

-


8 AUG AT 10:36

दास्तान तेरे इश्क की सुन रही है आज,
मेरे कानों में हवा गुनगुना रही है आजl

आई है हवा तुझे छूकर अभी-अभी,
तेरी खुशबू हर तरफ बिखेर रही है आजl

कभी उड़ा देती है जुल्फे मेरी, कभी आंचल गिरा देती है,
तुम ही समझाओ मुझको चिढ़ा रही है आजl

दूरियां तो है हमारे जिस्मों की मजबूरियां,
देखो दो दिलों को मिला रही है आजl

कह रही है एक दिन मिट जाएंगे ये फासले,
देखो मेरी तन्हाई मिटा रही है आजl

-


7 AUG AT 11:22

कैसे-कैसे संभालूँ मैं जज्बात,
कैसे छुपाऊं मैं अपने अल्फाज,

मैं जीयूँ या मरूं,
कैसे संभालूँ मैं अपने ख्वाब,

बिखेर के कुछ स्याहीयां पन्नों पर,
समझा देती हूं दिल को हालात,

उजड़ती है रोज छत मेरे सर की,
एक चुन्नी से ढक लेती हूं कायनात,

इन कोरे पन्नों सा कोई नहीं जिंदगी में मेरे,
जब चाहे इन्हें सुना देती हूं मनभाव l

-


3 AUG AT 19:27

तुम बिन सितारों से भरे आसमान का क्या होगा
जो छूट गए रास्ते तो तुम बिन मंजिल का क्या होगाl

तारों से भरे आसमान में चांद चुप क्यों है,
तेरी आंखों में बहते मेरे आंसुओं का क्या होगाl

बिछड़ जाएंगे जो कभी इस जहां में,
बाद हमारे किस्से कहानियों का क्या होगाl

जी रहे थे एक दूसरे के लिबास में सालों से,
जो उठ गया पर्दा तो किरदारों का क्या होगाl

यूँ ना ढला करो साझ की तरह,
चांद के पास वाले चमकते सितारे का क्या होगाl

होंगे रूबरू जब भी पहली बार,
उस वक्त भी खुद को रोक लिया तो फिर क्या होगाl

-


Fetching Sudha Maurya Quotes