खामोशियों को आजकल सुनता कौन है,
शोर में सबने खो जाना सीख लियाl
खिड़कियों से मंजर बारिश के बड़े देखे हैं,
आसमान में अब उड़ना सीख लियाl
बोसों में अब भीग लेती हूं मजे से,
पलके बंद कर अब मुस्कुराना सीख लियाl
हवा तेज गुजरी है कई बार मेरी गली से,
इन हवाओं से दिए को बचाना सीख लियाl
भीगती हैं आंखें किसी की याद में तो,
पलकों में आफताब को बसाना सीख लियाl
एहसासों की बातें समझता कौन है,
दिल में जज्बातों को दफन करना सीख लियाl-
Happy birthday 24 January
हम उनके लिए ऐसे जज़्बात रखते हैं,
उनके हर लम्हे से इत्तेफाक रखते हैं,
उन्हें अपने पास और दिल उनके पास रखते हैं,
उनके ख्वाबों की महफिल अपने पास रखते हैं,
हम उनसे वो हमसे रूहानी इश्क करते हैं,
ये ना सोचें कि इरादे नापाक रखते हैं,
हमें मंजूर है इश्क में हद से गुजर जाना,
ज़हन में मोहब्बत बेहिसाब रखते हैं,
आरजू इतनी है कि कोई रोड़ा ना आए,
हम अपने आंखों में उसे बहा देने जितना सैलाब रखते हैं,
जब जी करे 'सुधा' लिखदे कोई गज़ल,
दिल का तख्ता बना जज्बातों का कलम रखते हैंl-
इन कागजों पर गर बीखेरती न जज्बात,
तो खुद बिखर जाती मैं हर रोजl
बहुत चैन मिलता है तेरी गोदी में ऐ नींद,
पर कहां नसीब होता है हर रोजl
आशनाई है या कुछ और,
बिखर रही हूं थोड़ा-थोड़ा हर रोजl
तसल्ली नहीं मुझे पल भर की,
खामखां उलझ रही हूं हर रोजl
मुक़र्रर दे ऐ जिंदगी मेरी सजा,
मर रही हूं मैं थोड़ा-थोड़ा हर रोज l-
तेरा हाथ पकड़ कदम से कदम मिलाकर चलती हूं,
मैं अपनी परछाई में सिर्फ तुमको देखा करती हूं,
मेले लगे हैं आसमान में बेशक सितारों के,
मैं तो सिर्फ अपने चांद को तका करती हूं,
करते हैं लोग सात -सात जन्मों की बातें,
एक-एक पल में संग तेरे युग-युग जिया करती हूं,
लोग तरसते होंगे तेरे करीब आने को,
तुझे गले लगा कर खुद पर गुरुर किया करती हूं,
लोग करते हैं जीने की बेइंतहा ख्वाहिशें,
तेरे संग सांसों के कतरे कतरे में जिया करती हुँ l-
सुना है वक्त कभी रोके रुकता नहीं,
मैंने तेरे प्यार में डूबा हर लम्हा रुकते देखा है,
हो लंबा सफर तेरी याद हो दिल में,
हर शख्स में तेरा अक्स समाते देखा है,
शायद यह बात सुन दीवाना कहेंगे मुझको,
तेरे सुरों को हर जगह गुनगुनाते देखा है,
तू है कहीं आस-पास,
कई दफा तुझे मुड़- मुड़ के देखा है,
ये मेरे इश्क के इम्तिहान नहीं तो क्या,
मैंने खुद को तुझमें सिमटते देखा है,
जुबा बोलना चाहे फिर भी कह नहीं पाती,
मैंने तेरे इश्क में सितारों को टूटेते देखा हैl
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लिख चुकी हूं मैं तेरा भी अंजाम अपनी जिंदगी में,
सिमट के रह गया है बस तू मेरे कुछ कहानियों में,
कुछ पन्नों से शिकवे किये कुछ खुद से गिला,
कुछ आंसुओं को दिल में दबा कुछ को कर दिया रिहा,
तुझे एहसास नहीं तेरी बेरुखी का,
जिस दिल में रहता है उस दिल की तड़प का,
इश्क में तो लोग आंखें पढ़ लेते हैं,
तुमने तो बातों को भी अनसुना कर दिया,
आलम ना पूछो कैसे कट रहे हैं दिन,
हमसफर कहके भी तूने मुझे तनहा कर दिया,
तेरी आशिकी में मैं बेइंतहा दर्द से गुजर रही हूं,
और तूने मुझे बेवजह कह दिया,
यह आशनाई खूबसूरत है बहुत,
पर तूने बस इन्हें शब्दों में कैद कर दिया l-
कोई तो हो जो मुझसे कहे,
क्यों रहती हो गुमसुम कभी तो मुस्कुराया करो,
मेरा दिल ढूंढता है तुम्हारा पता कभी तो आया जाया करो,
यू घुट-घुट के जीना अच्छा नहीं 'सुधा,'
कभी तो अपनों के पास भी बैठ जाया करो,
मैं तलाशता हूं ख्वाबों में तुम्हें,
कभी मुकम्मल हो सामने भी आ जाया करो,
रोज लिखता हूं हर्फ दर हर्फ तुम्हें,
कभी गजल तो कभी नज़्म बन जाया करो,
भूल चुकी हो तराने सुरों के,
कभी तो भंवरों के संग गुनगुनाया करो,
खिलखिलाना याद नहीं मुझे तेरा,
कभी तो अपनी ख्वाहिशें बताया करो,
इल्म इतना रहे तुमको की हूं दरबदर अब तक,
बस ठिकाना अपना तुम,मुझे बताया करोl
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ख्वाबों में देख तुझे करवटें बदल रही थी,
ख्वाहिशें बेलगाम तेरे लिए मचल रही थी,
कभी हवा का झोंका कभी एहसासों का मेला,
मिलन का ख्वाब लेकर,कबसे जिंदगी तरस रही थी,
कभी हो मुखातिब ऐ हमसफर मेरे,
अपनी दुनिया बनाने को कब से सांसें तरस रही थी,
सुबह उठते तेरा ख्याल,रातों को तेरा ख्वाब,
मिलने को हूं बेताब,रग रग मचल रही थी,
उंगलियां फेरु रेत पर कभी कागजों पर उकेरु,
हो जाओ तुम जीवंत,मन में यही बात पल रही थी,
कभी तो आवोगे ही,रूबरू होंगे जरूर,
चाहत होगी पूरी कभी यह उम्मीद बढ़ रही थीl-
जग के गुजारी हैं कई रातें उसके बिना,
अगर एहसास नहीं उसे मोहब्बत का तेरे,
तो क्या तू उसे अल्फाजों में बताएगी,
नहीं तो.....
तड़पी है इश्क -ए -एहसास के बिना,
तन्हा भी तो थी तो उसके बिना,
उसकी तन्हाइयों में तू भी उसे रुलाएगी,
नहीं तो......
तू करती है कितनी सिद्दत से मोहब्बत,
तेरे जज्बातों को वह ज़ज़्ब ना कर पाया,
तो तू भी उसे रुसवा करेगी,
नही तो....
सितारों के मेले में एक चांद सा है तेरे लिए,
तुझे नहीं देख पाता इस नजरिए से,
तो तू भी उसे भीड़ में खो जाने देगी,
नहीं तो....-
वह किरदार था मेरा,मैं उसकी दास्तां हुआ करती थी,
हमारे दरमियां क्या खूब मुलाकात हुआ करती थीl
पढ़ा था मैंने एक फलसफा,
मैं उसके लिए नज़्मो की किताब हुआ करती थीl
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