अच्छा सुनो! मेरी कोई महंगी ख्वाइशे नहीं तुम मेरे छोटे छोटे ख़्वाब पूरे कर पाओगे क्या।। मैं बनुगी बेटी तुम्हारे मां बाप की तुम मेरे मां बाप का बेटा बन पाओगे क्या।। नही चाहिए कोई महल मुझे तुम अपने घर की रानी बना कर रख पाओगे क्या।। मैं करूंगी छोटे बड़े का आदर सम्मान तुम मेरे परिवार को अपना परिवार बना पाओगे क्या।। कभी हुआ मन उदास मेरा तो तुम मेरी फीलिंग समझ पाओगे क्या।। जानती हूं थोड़ा बचपना है मुझमें जैसी हूं वैसे ही मुझे स्वीकार कर पाओगे क्या।।
हमेशा मैं ही क्यों पहल करू कभी तुम भी तो आकर बात करो।। हमेशा मैं ही तुम्हें क्यों समझूं, कभी तुम भी तो समझने की कोशिश करो।। ये दोस्ती है या प्यार कोई कभी तो तुम इज़हार करो।। अधूरी है अभी कहानी कोई तुम भी अब इसे पूरा करो।।
रूठ जाते हो तुम पर मुझे मनाना नही आता, इश्क़ है तुमसे पर जताना नही आता।। ऐसा नही है की मेरी जिंदगी में कोई दुख नही पर मुझे हर किसी को दुख सुनाना नहीं आता, लोग कहते है बहुत हंसती हो तुम क्या करूं मुझे गम दिखाना नही आता।।
कभी मिले गर वो तो मेरे यार उसे कहना करता हूं इंतजार आज भी ये उसे समझाना।। लाखों होंगे चाहने वाले उसे मैं जां वार्ता हूं उसपर ये उसे समझाना।। कोई समझे या न समझे उसे मैं हर जज़्बात समझता हूं ये उसे समझाना।। वो मिले मुझे या न मिले फ़र्क नही मुझे मोहब्बत रहेगी उस से ये उसे कहना।। छोड़ देती हैं वो हर बात किस्मत पर मुझे किस्मत पर एतबार नहीं ये उसे समझाना।। करते होंगे कई इश्क इन 7 दिनों में मैं जिंदगी ही उसके नाम कर आया ये उसे समझाना।।
कौन कहता है same caste होने पर घर वाले शादी को मान जाया करते हैं, जनाब पैसा साथ हो तो घर वाले caste भी भूल जाया करते हैं।। बेच दिया पहले बेटी को जमीन जायदाद देख कर, बाद में उसे बेटी की क़िस्मत बताया करते है।।
करो तैयारी राजतिलक की प्रभु राम आ रहे है।। राम सिया जी के संग भ्राता लक्ष्मण जी आ रहे है चारो तरफ दीप जलाकर हम दिवाली मना रहे है।। करो तैयारी राजतिलक की प्रभु राम आ रहे है।। हम तो बस राम जी को निहारे जा रहे है अपने आंसुओं से उनके चरण धुलवा रहे हैं करो तैयारी राजतिलक की प्रभु राम आ रहे है।।
ढूंढता रहा खुद को मैं हर जगह पर खुद को मैं ढूंढ न पाया।। सुलझाता रहा मैं किस्से सब के पर अपनी कहानी सुलझा न पाया।। हंसाता फिरता हूं दिन भर सबको पर खुद 2 पल हंस न पाया।। पीस रहा हूं जिंदगी की दौड़ में पर मैने खुद 2 पल का चैन न पाया ।। लोग कहते है की तुम हमे समझते नही यार मैं तो अब तक खुद को भी न समझ पाया ।।
जब जब गिरा मैं तूने ही उठाया है थाम कर हाथ मेरा आगे तूने ही बढ़ाया है कौन कहता हैं की ईश्वर का साथ नही मैंने तो जब भी पुकारा तुम्हें अपने पास ही पाया है।।
राधा कृष्ण सा बनना चाहते राम सीता सा कोई नहीं सब चाहते है महलों में रहना वनवास काटना कोई नहीं।। कैसे मिलेगा सत्य प्रेम तुम्हें जब तुम ही सीता नही।। लंका में रहकर भी वो पवित्र मिली मां सीता जैसा और कोई नहीं।।