बीते साल में बहुत कुछ छोड़ आये हम
कुछ बुरी यादें, कुछ बुरी आदतें
और कुछ एहसास......
अब जो आये हैं ऐ जनवरी
खुद को नये एहसासों में संजोकर
आगे ही बढ़ने की चाह लिए
अब पीछे मुड़कर न देखेंगे।-
From Uttarakhand
Nature lover
Yoga lover
So... read more
अजी बात ये है कि...
वो पूछते हैं कि तुम्हारे दिल में आने के लिए
कोई खिड़की या दरवाजा है कि नहीं!!
हमें अब पता चला उन्हें ख़बर ही नहीं
हमने तो कबसे दिल उनके हवाले कर रखा है।
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बिखरे हुए तो हम पहले से थे
अपनों के रंग देखकर।
उसने हौले से दिल जो लगाया,
हम संवरने लगे।-
महफिल में जिक्र हुआ था खूबसूरती का हम तक बात आयी,
हम ठहरे सादगी पसंद ज़नाब हमें उनकी सादगी पसंद आयी।-
मेरी हर कविता तेरे एहसासों से जुड़ी है,
मेरी कलम की हर राह तेरी ओर मुड़ी है।
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एक नये रास्ते की शुरूआत जितनी मुश्किल होती है,
उसे तय करते ही इंद्रधनुषी रंग बिखरते हैं जिंदगी में।
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मुहब्बत से भरे दिल में
नफरत भर दी है उसने।
और तुम पूछते हो
क्या बदल गया है मुझमें?-
ये दुनिया भी कमाल करती है ज़नाब,
खोट नीयत में है और दोष कपड़ों को देती है॥
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हसरतों का दरिया जो रुका था कहीं,
तुमने उसे कभी सींचा ही नहीं।
मुरझाता ही रहा वो हरपल
तुमने कभी जिक्र किया ही नहीं।
तुम मश़रूफ थे खुद में ही यूँ
तुमने फिर फिक्र की ही नहीं।
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