Suchita   (Suchi)
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Joined 27 March 2020


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Joined 27 March 2020
5 JAN 2023 AT 13:41

बीते साल में बहुत कुछ छोड़ आये हम
कुछ बुरी यादें, कुछ बुरी आदतें
और कुछ एहसास......
अब जो आये हैं ऐ जनवरी
खुद को नये एहसासों में संजोकर
आगे ही बढ़ने की चाह लिए
अब पीछे मुड़कर न देखेंगे।

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5 DEC 2022 AT 15:21

अजी बात ये है कि...
वो पूछते हैं कि तुम्हारे दिल में आने के लिए
कोई खिड़की या दरवाजा है कि नहीं!!
हमें अब पता चला उन्हें ख़बर ही नहीं
हमने तो कबसे दिल उनके हवाले कर रखा है।

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5 DEC 2022 AT 15:09

बिखरे हुए तो हम पहले से थे
अपनों के रंग देखकर।
उसने हौले से दिल जो लगाया,
हम संवरने लगे।

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22 NOV 2022 AT 23:52

महफिल में जिक्र हुआ था खूबसूरती का हम तक बात आयी,

हम ठहरे सादगी पसंद ज़नाब हमें उनकी सादगी पसंद आयी।

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14 NOV 2022 AT 17:58

मेरी हर कविता तेरे एहसासों से जुड़ी है,

मेरी कलम की हर राह तेरी ओर मुड़ी है।

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14 NOV 2022 AT 17:41

एक नये रास्ते की शुरूआत जितनी मुश्किल होती है,
उसे तय करते ही इंद्रधनुषी रंग बिखरते हैं जिंदगी में।

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12 NOV 2022 AT 23:23

मुहब्बत से भरे दिल में
नफरत भर दी है उसने।
और तुम पूछते हो
क्या बदल गया है मुझमें?

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12 NOV 2022 AT 23:16

ये दुनिया भी कमाल करती है ज़नाब,

खोट नीयत में है और दोष कपड़ों को देती है॥

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12 NOV 2022 AT 23:06

लफ्ज़ों की खामोशी...

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10 NOV 2022 AT 10:03

हसरतों का दरिया जो रुका था कहीं,
तुमने उसे कभी सींचा ही नहीं।
मुरझाता ही रहा वो हरपल
तुमने कभी जिक्र किया ही नहीं।
तुम मश़रूफ थे खुद में ही यूँ
तुमने फिर फिक्र की ही नहीं।

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