बप्पा हमारे "मैं" को विसर्जित करने आते हैं और हम सिर्फ़ उनकी प्रतिमा को ही विसर्जित करते हैं हमारे "मैं" को नहीं।
लो कर लो बात,
और बप्पा तो पहले से ही हैं इस सृष्टि में हमारे भीतर वो परम तत्व हैं, हम उनको क्या लेके आयेंगे और क्या ही विसर्जित करेंगे।
बप्पा का विसर्जन तभी सफल होगा जब हमारे "मैं" का भी विसर्जन साथ में होगा।
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