Subodh Kant   (Subodh kant)
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Joined 13 June 2018


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23 MAR 2021 AT 23:00

सकून ताउम्र ना मिलेगा इस दिल को,,
पर अब तसल्ली मिल गयी!!

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21 MAR 2021 AT 22:42

कभी फिर लौटकर उस दर पर आयेंगे जरूर,
जो रह गयी थी बातें अधूरी उन्हें बतायेंगे जरूर!
जब भी मिलोगी तो थोड़ा हस जरूर लेना,
हम भी तुम्हें देखकर मुस्करायेंगे जरूर!!

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14 SEP 2020 AT 22:26

जीतने की ख्वाहिश वहां होती है,,
जहां हारने का डर हो...
जब हारने को कुछ बचा नहीं,,
तो ख्वाहिश किस बात की...

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6 SEP 2020 AT 22:03

कौन है मुकम्मल साथ मेरे,शिवाए इनके
ये रात, ये अंधेरा और ये शराब....

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2 JUL 2020 AT 0:16

आलमें बंदिश तो देखो..
वो भी खुश मैं भी खुश...!!

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23 JUN 2020 AT 23:52

क्या फसाना है जिंदगी तेरा भी
सौ बहारों के बीच भी,,
नजरें एक ही फूल को ढूँढती हैं..!!

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19 JUN 2020 AT 11:14

जो रह सके ताउम्र दिल में,
कहां एेसे कोई हिस्से हैं,,
हां यूं तो आने जाने वालों के
न जाने कितने किस्से हैं..!!

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20 MAY 2020 AT 13:06

मायूस आंखों को भीगकर रिसते देखा है...
कई रिश्तों को मैंने खामोशी सेे मिटते देखा है...!!

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27 APR 2020 AT 23:50

फकत मुझे आरजू नहीं, कि मैं रहूं या कहीं मेरा जिकर आये..
दुआ करता हूँ कि महौबत का फिर से तेरी जिंदगी में इत्र आये.
बस आरजू इतनी सी है कि तलबगार न हो कोई जिस्म का..बस मेरी तरह तेरी रूह को चाहे......

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30 MAR 2020 AT 22:49

भटके हुए रास्तों की दास्तान न बन..
हर किसी की जद में हो इतना आसान न बन...!!
चलता चल मंजिल पर तू अपनी..
किसी और के रास्ते का काँटा ना बन...!!

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