रात के अँधेरे को जैसे दूर चाँद है करता,
वैसे ही जीबन के अंधकार में उजाला गुरु है भरता,
लाखो तारो में भी आसमान में अकेला चाँद है चमकता,
वैसे ही जग में महान गुरु का कद है होता |
सागर का पानी जैसे असीम है होता,
वैसे ही गुरु ज्ञान का सागर है होता,
पुरे संसार को ज्ञान का अमृत है देता,
चाहकर भी कोई वो मोल चुका ना पाता |
सूरज से भी ज्यादा जिनका तेज है होता,
पर चाँद से ज्यादा जो शीतल है होता,
सागर की लहरों की तरह जो हर पाप है धोता,
साख्यात भगबान का रूप वो गुरु है होता |-
वक़्त के साथ बदल जाते होंगे कुछ मतलबी रिश्ते,
पर कुछ रिश्ते ऐसे भी होते है...जो बुरे वक़्त को भी अच्छे में बदल देते है...
जब चारो तरफ नाकमियाबी का अँधेरा होता है,
तब इन् लोगो की सहारे ज़िन्दगी को एक नयी रौशनी मिल जाती है....
जीत हो या हार, हर राह में साथ खड़े ये होते है,
चाहे लाख बुरी हो किस्मत...पर इनकी दुआ से ये कामियाबी में बदल जाती है...
घर से दूर भी एक परिवार बन जाता हे, जब साथ तुम्हारे ऐसे प्यारे दोस्त होते है...
-
हर कोशिश करने वाले की जीत नहीं होती,
हर राही को अपनी मन चाहा मंज़िल नहीं मिलती,
लेकिन बिना कोशिश मिली जीत से ये हार ज्यादा बड़ी है होती,
क्यूंकि कामियाबी से ज्यादा खुशी संतुष्टि से हैे मिलती |
सच्ची कोशिश करने वाले को हर बार एक नयी राह मिल ही है जाती,
और उस सफ़र का मज़ा सोचि मंज़िल से ज्यादा ख़ूबसूरत है होती |
-
वतन से बड़ा कोई धर्म नहीं,
वतन से बड़ा कोई कर्म नहीं |
वतन के खातिर ही जीना यंही,
वतन के खातिर ही मरना यंही |
माना की दिया जन्म तूने हमको नहीं,
पर दिया जो कोख हमे, वो किसी माँ से कम तो नहीं |
मेरे वतन से बड़ा कोई वतन मैंने देखा नहीं,
झुका के सिर उस देश को, आज नमन करता हूँ यंही |-
बचपन से ही अपनी महिमा तूने पूरे जग को दिखाया,
ना जाने कितने पापियों का तूने उद्ध्हार कराया,
कालिया नाग के सर पे खड़ा तूने अपना बंसी बजाया,
कंस के अत्याचार से तूने पूरे जग को बचाया |
गोबर्धन पर्वत को अपने एक ऊँगली से ही उठाया,
और पूरे गोकुल को इंद्र के प्रकोप से बचाया,
पूरे गोकुल को तूने अपने मुरलि के धुन से नचाया,
गोकुल से द्वारका हर जगह तेरी माया था छाया |
कभी मक्खन चोर तो कभी देवकी नंदन तुझको बुलाया,
कभी राधा का श्याम तो कभी यशोदा का लाला तू गया कहलाया,
द्वारकधीश होके भी सुदामा को तूने जो प्यार जताया,
दोस्ती का वो पाठ तूने पूरे जग को सिखाया |-
कितना बदल गया है आज ये दुनिआ,
हैरान है देख उसे आज, जिसने इसे है बनाया |
इंसान के सर में आज पैसो का भूत है छाया,
अपना सारा जीवन उस झूठे ख़ुशी में वो गवाया ,
पर क्या सच में कभी कोई इससे सच्चा ख़ुशी है पाया?
क्यूंकि पैसो से ख़ुशी कोई कभी खरीद ना पाया |
इंसानियत से बड़ा कोई धर्म ईश्वर ने ना सिखाया,
पर अफ़सोस ये धर्म इंसान भूल है गया,
इंसानियत से ज्यादा ऊँचा अपना स्वार्थ को बनाया,
और उसी कारण ही अपनों को खुद से किया पराया |-
ज़िन्दगी के डगर में कई मोड़ है आते,
हर मोड़ नयी मंजिल के तरफ है जाते,
पर मंज़िल पाने से पहले ही कई लोग भटक है जाते,
और ज़िन्दगी के सफ़र में पीछे रह ही है जाते |
लेकिन आखिर तक जो कभी हार ना मानते,
मंज़िल अपना वो खुद ढूंढ ही है लेते,
पर सच्चाई ये वो समझ ना पाते,
कोशिश किये बिना ही जो हर बार किस्मत का दोष है देते |-
तेरे बिन हर पल ज़िन्दगी का लगता अधूरा,
रिश्ता हमारा ये है सबसे न्यारा,
एक और एक मिलके हम बन जाये ग्यारह,
जब मेरे संग होता है तू मेरे यारा |
तेरे संग बांटता हूँ अपना दुःख में सारा,
एक दूजे से ही जुड़ा है सभी खुशीयां हमारा,
रब से बस यही दुआ है मेरा,
सदा खुश रहे तू ओ मेरे यारा |-
बाघ की तरह तुम दहाड़ना सीखो,
उसके जैसा अकेला चलना सीखो,
निडर उसकी तरह तुम जीना सीखो |
अपने क़ाबिलियत पे तुम भरोसा रखो,
चाहे दो कदम पीछे क्यों ना ले लो,
पर उसके तरह अपने मंज़िल को पाना सीखो |-
बहुत दर्द हुआ आज फिर से इस दिल को,
जब देखा उन बदनसीब बच्चो को,
जो तरसते है हर रोज़ दो वक़्त के खाने को,
और कई रात भूखे पेट जाते है सोने को |
फिर से पूछा आज मेने अपने आप को,
क्या सच में दीखता नहीं ये भगवन को?
पर बाद में जाना उसके इस परीक्षा को,
जिसमे देखना चाहता है वो हमारी इंसानियत को |
क्या हमने पूछा है कभी ये अपने आप को,
की जिनके पास है हैसियत थोड़ी सी भी देने को,
क्या वो नहीं नहीं कर सकते मदद इन नन्हे फरिस्तो को?
क्या इनके अंदर दीखते नहीं भगवान इस इंसान को?
जब हमारी वजह से मिलता है ख़ुशी किसी और को,
तब सच में बड़ा सुकून मिलता है इस दिल को |-