Subhav Sharma   (सुभव शर्मा)
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कुछ लिखने की जदो जहद जारी रहती है..कभी हमारी तो कभी बारी तुम्हारी रहती है।।
Joined 9 September 2019


कुछ लिखने की जदो जहद जारी रहती है..कभी हमारी तो कभी बारी तुम्हारी रहती है।।
Joined 9 September 2019
26 JUL 2021 AT 18:45

तो कुछ पन्ने तुम्हारी किताब में भी भरे होते :)

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23 APR 2021 AT 1:07

तुम चेहरा पढ़ने की बात करते हो..
उनके अनकहे जज़्बात लिख दिए हमने।।

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19 APR 2021 AT 14:05

यूं तो कुछ भी नही होता..
यहां हवा भी किसी की यादें लिए घूमती है।।

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9 APR 2021 AT 0:26

जिस मकान को भूतिया कह कर नकारा सबने
तूफानों में उसी ने मोहल्ले वालों को आसरा दिया

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30 MAR 2021 AT 21:41

उसका नाम आते ही महफ़िल में सभी मुझे देखने लगे
कुछ ना कह कर ही मैंने जवाब दे दिया।।

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30 MAR 2021 AT 20:09

यूं गलत भी नहीं होती चेहरों की तासीर लेकिन
लोग वैसे भी नही होते जैसे नज़र आते है।।

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6 FEB 2021 AT 23:41

हर किसी को यहां अपनी ही कहानी है
तुमने तो वक्त दिया है नहीं था मुझे
आखिर मुझे किसी के साथ तो ज़िन्दगी बितानी है

तुम चले आए तो अब लौट जाओ
मैने किसी और के साथ राते गुजारनी है
तुम्हे कैसे बताती ये सोचकर ही
उसकी बाहों में मेरी बाहें सिमट जानी है

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4 FEB 2021 AT 20:57

तो तुम्हारा बिल्कुल ही नहीं हो सकता

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27 JAN 2021 AT 13:25

हमने उनको भी प्यार का मोल भाव करते देखा
जो कहते है बेपनाह प्यार है तुमसे

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25 JAN 2021 AT 23:28

इस गलतफहमी में उनकी कितनी राते गुजरी
कि सुबह होते वो रात को भूल जाएंगे

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