तो कुछ पन्ने तुम्हारी किताब में भी भरे होते :)
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तुम चेहरा पढ़ने की बात करते हो..
उनके अनकहे जज़्बात लिख दिए हमने।।-
यूं तो कुछ भी नही होता..
यहां हवा भी किसी की यादें लिए घूमती है।।-
जिस मकान को भूतिया कह कर नकारा सबने
तूफानों में उसी ने मोहल्ले वालों को आसरा दिया-
उसका नाम आते ही महफ़िल में सभी मुझे देखने लगे
कुछ ना कह कर ही मैंने जवाब दे दिया।।-
यूं गलत भी नहीं होती चेहरों की तासीर लेकिन
लोग वैसे भी नही होते जैसे नज़र आते है।।-
हर किसी को यहां अपनी ही कहानी है
तुमने तो वक्त दिया है नहीं था मुझे
आखिर मुझे किसी के साथ तो ज़िन्दगी बितानी है
तुम चले आए तो अब लौट जाओ
मैने किसी और के साथ राते गुजारनी है
तुम्हे कैसे बताती ये सोचकर ही
उसकी बाहों में मेरी बाहें सिमट जानी है-
हमने उनको भी प्यार का मोल भाव करते देखा
जो कहते है बेपनाह प्यार है तुमसे-
इस गलतफहमी में उनकी कितनी राते गुजरी
कि सुबह होते वो रात को भूल जाएंगे
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